(साल 2020 हम सभी के लिए काफी मुश्किल भरा रहा है , कोरोना महामारी से वित्तीय संकट तक, हमने इस साल बहुत कुछ झेला है. "गुड न्यूज 2020" के जरिए हम आपका ध्यान उन घटनाओं और पलों की तरफ केंद्रित करना चाहते हैं, जिन्होंने इस मुश्किल भरे वक्त में भी उम्मीद पैदा की है. ये स्टोरी द क्विंट की नमिता हांडा जॉली की है, जो बता रही हैं कि कैसे उनके लिए ये साल पॉजिटिव रहा.)
साल 2020 मेरे लिए कुछ क्रेजी, कुछ आफत और बहुत सारी खुशियों से भरा था. मुझे 2019 BC (Before Covid) में पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं, तभी से मैंने अपने बच्चे की बेबीमून (एक ऐसा समय जब बच्चे के मां-बाप पूरा समय बच्चे पर केंद्रित करना चाहते हों), बेबीशॉवर, अपने लिए मेटरनिटी शॉपिंग लिस्ट की प्लानिंग शुरू कर दी थीं, लेकिन तभी मेरी पूरी प्लानिंग पर कोरोना वायरस ने फुल स्टॉप लगा दिया.
मार्च 2020 तक कोरोना वायरस पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा था, कोरोना की आग एक बुरे सपने की तरह पूरे भारत में भी फैल चुकी थी. जिसके बाद से भारत में मार्च से लॉकडाउन लगाया गया. इसी के साथ मेरी बेबी शॉपिंग लिस्ट पर भी ताला लग गया था.
अगर सच कहूं तो मैं बहुत भाग्यशाली थी कि, मैंने अपनी प्रेग्नेंसी को इस महामारी में फेस मास्क लगाकर बचा लिया. साल 2019 मेरे लिए दोनों- भावनात्मक और शारीरिक रूप से मुश्किल था, लेकिन इन कठिनाइयों के बाद भी मुझे रिजल्ट पॉजिटिव मिला. इस साल कोरोना वायरस के कारण घर से काम करना अब सबके लिए सामान्य हो गया है.
कभी-कभी मुझे अपने आप पर बहुत गर्व महसूस होता है कि, मुझे एक ऐसा पति मिला है जो मेरे साथ मेरी प्रेग्नेंसी और उसके बाद के समय तक खड़ा रहा. हम दोनों ने इस लॉकडाउन में अपनी जिंदगी के कुछ खूबसूरत पलों को साथ में संजोया है, नहीं तो ऑफिस में होने की वजह से क्या पता हम दोनों ऐसे कुछ पल खो देते. हम दोनों वहां पर मौजूद थे जब हमारा प्यारा सा नन्ना बच्चा पहली बार मुस्कुराया था.
मुझे अभी भी कोरोना का डर है और मैं अपने बच्चे को इस समय पार्क या किसी रेस्टोरेंट में ले जाने की हिम्मत तक नहीं कर सकती हूं.
मेरा बच्चा अब 3 महीने का हो गया है, लेकिन अभी तक हमने उसके लिए बाहर से कोई भी खिलौना नहीं खरीदा है. हमें ये भी ध्यान रखना पड़ता है कि घर में कोई भी बिन बुलाया मेहमान ना आ जाए.
सोशल आइसोलेशन के कारण हमारा बच्चा अभी तक सुरक्षित है और हमारे लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है. साल की इस मुश्किल घड़ी में हमारे बच्चे ने हमें खुश रखने के लिए कई कारण दिए हैं.
वो कहते हैं ना कि, एक नई सुबह एक नई उम्मीद की किरण लेकर आती है. उसी तरह हमें इस नए साल का स्वागत भी एक नई उम्मीद की किरण के साथ करना चाहिए .
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