क्या आपको पता है गुजरात (Gujarat) में जीत का सबसे बड़ा रिकॉर्ड नरेंद्र मोदी या बीजेपी के नाम नहीं है? क्या आपको पता है गुजरात में कांग्रेस कब से 'लापता' है? पहली बार गुजरात में गैर कांग्रेसी सरकार कब बनी? क्या आपको पता है कैसे बीजेपी ने कांग्रेस के हाथ से गुजरात छीन लिया? गुजरात के बनने से लेकर अबतक कांग्रेस और बीजेपी के बीच जीत और हार की कहानी पर आंकड़े क्या कहते हैं? क्या इसमें कोई पैटर्न है?
इन सारे सवालों के जवाब आगे मिलेंगे.
ये खबर क्यों जरूरी है: गुजरात में 182 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. 1 और 5 दिसंबर को वोटिंग हैं. ऐसे में मौजूदा राजनीतिक हालात को समझने के लिए गुजरात में कांग्रेस और बीजेपी के इतिहास को जानना होगा. दोनों को मिलने वाले वोट, जीत हार का फर्क, वोटिंग प्रतिशत, आजादी के बाद से अबतक के चुनावों का हाल जानना होगा.
इतिहास पर एक नजर: आजादी से पहले यानी अंग्रेजी हुकूमत के दौरान गुजरात बंबई प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. आजादी के बाद भाषाई आधार पर राज्यों के अलग होने की मांग उठने लगी. इस मांग को देखते हुए श्याम कृष्ण आयोग का गठन हुआ, लेकिन कृष्ण आयोग ने भाषाई आधार पर राज्य बनाना सही नहीं बताया. हालांकि इसके बाद बने जेबीपी आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की बात कही.
जेबीपी आयोग के इस सुझाव के बाद 14 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए. इसी दौरान एक मई 1960 को महाराष्ट्र के ग्रेटर मुंबई को दो हिस्सों में बांट दिया गया और फिर गुजरात एक अलग स्वतंत्र राज्य बन गया. अब राज्य अलग हुआ तो चुनाव भी होने थे. गुजरात विधानसभा का पहला चुनाव 1960 में हुआ था. तब 132 सीटों के लिए हुए चुनाव हुए थे जिसमें 112 सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी.
1962 का चुनाव
1962 में 154 सीटें पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 112, स्वतंत्र पार्टी को 26, प्रजा सोशल पार्टी को 7, नूतन महागुजरात जनता परिषद को 1 और स्वतंत्र को 7 सीटें मिली थीं. तब डॉक्टर जीवराज नारायण मेहता मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद साल 1963 में बलवंतराय मेहता दूसरे मुख्यमंत्री बने.
1967 में कांग्रेस की सीट 100 से पहुंची नीचे
साल 1967 में गुजरात विधानसभा में सीटें बढ़ गईं. कुल 168 सीटों पर चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा. कांग्रेस सिर्फ 93 सीटों पर जीत हासिल कर सकी. इसी चुनाव में जनसंघ ने गुजरात में अपना खाता खोला. स्वतंत्र पार्टी को 66 सीट मिले, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 3, भारतीय जनसंघ को 1 और स्वतंत्र को 5 सीटें मिली थीं.
1972 का चुनाव
इस चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी वापसी की और 168 में से 140 सीटों पर कब्जा कर लिया. हितेंद्र देसाई लगातार तीसरी बार (20 सितंबर 1965 से 12 मई 1971 तक) राज्य के मुख्यमंत्री बने. उनके कार्यकाल में ही गुजरात में 1969 में पहला बड़ा सांप्रदायिक दंगा हुआ था.
लेकिन इस दौरान कांग्रेस आपसी लड़ाई में उलझी हुई थी. हितेंद्र देसाई हटे तो फिर घनश्याम ओझा मुख्यमंत्री बने, लेकिन इन्हें हटाकर कांग्रेस ने चिमनभाई पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन ये सरकार भी चल नहीं सकी और बीच में ही विधानसभा भंग हो गया.
1975 का चुनाव- पहली गैर कांग्रेसी सरकार-टर्निंग प्वाइंट 1
इस चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार हुई. बाबूभाई पटेल के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ, भारतीय लोकदल, समता पार्टी और कांग्रेस से अलग हुई पार्टी कांग्रेस (ओ) ने सरकार बनाई. बाबूभाई पटेल गुजरात के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे.
इस चुनाव में गुजरात विधानसभा में 162 से सीटें बढ़कर 182 हो गए. जोकि अभी भी है. इस चुनाव में कांग्रेस को 75, कांग्रेस (एस) को 58, भारतीय जनसंघ को 18 सीटें मिली थी.
साल 1980 - कांग्रेस की वापसी
इस चुनाव से पहले भारतीय जनसंघ के एक गुट ने अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में जनसंघ से अलग होकर समाजवादी और गांधीवादी विचारधारा के नेताओं के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का गठन किया.
आपातकाल के बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी एक जातीय समीकरण लेकर आए. जिसे कहा गया- Kham (खाम). मतलब K का मतलब था क्षत्रिय, H का मतलब हरिजन, A का मतलब आदिवासी और M का मतलब था मुस्लिम. कांग्रेस ने इस समीकरण के साथ वापसी की. 182 सीटों में से 141 पर जीत दर्ज. जनता पार्टी को 21, बीजेपी को 9 सीट हासिल हुई. 1980 में कांग्रेस को 51.04 फीसदी वोट मिले थे.
1985 में कांग्रेस ने बनाया रिकॉर्ड
शुरुआत में हमने कहा था कि गुजरात में जीत का सबसे बड़ा रिकॉर्ड नरेंद्र मोदी या बीजेपी का नाम नहीं है. जी हां, ये रिकॉर्ड आजतक कांग्रेस के नाम है.
कांग्रेस ने 1985 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 149 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 1985 में कांग्रेस को 55.55 प्रतिशत वोट मिले थे. बीजेपी सीट के साथ-साथ वोट फीसदी का रिकॉर्ड भी अब तक तोड़ नहीं पाई है. बीजेपी को सबसे ज्यादा करीब 50 फीसदी (2002 विधानसभा चुनाव) वोट मिले हैं.
1990- फिर कभी नहीं संभली कांग्रेस-टर्निंग प्वाइंट 2
पिछले चुनाव में रिकॉर्ड बनाने वाली कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई. और बीजेपी ने अपने अभेद किला बनाना शुरू कर दिया. इस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 33, बीजेपी को 67, जनता दल को 70 सीट मिली. जनता दल और बीजेपी की सरकार बनी. इस बार कांग्रेस को 30 फीसदी, बीजेपी करीब 27 फीसदी और जनता दल को करीब 30 फीसदी वोट मिले थे.
लेकिन राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को तोड़े जाने के मुद्दे पर बीजेपी और जनता दल के रास्ते अलग हो गए. लेकिन तबतक बीजेपी गुजरात में अकेले अपनी जगह बना चुकी थी.
1995- गुजरात में पहली बार, बीजेपी सरकार -टर्निंग प्वाइंट 3
यही वो चुनाव था जहां बीजेपी ने अपने बल पर पहली बार गुजरात में सरकार बनाई. इस चुनाव में बीजेपी को 121, कांग्रेस को 45 और स्वतंत्र को 16 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में बीजेपी को 42.51%, कांग्रेस को 32.99% वोट मिले थे.
बीजेपी की जीत के बाद केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री बने, लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके.
1998- अब बीजेपी कहां रुकने वाली थी
बीजेपी में फूट की वजह से साल 1998 में विधानसभा के चुनाव हुए. बीजेपी से अलग हुई राष्ट्रीय जनता पार्टी को नुकसान हुआ और दोबारा सरकार में नहीं आ सकी.
इस चुनाव में बीजेपी को तीन सीट का नुकसान हुआ लेकिन फिर भी 117 सीट आ गई. कांग्रेस को 53, जनता दल को 4, अखिल भारतीय राष्ट्रीय जनता पार्टी को 4, समाजवादी पार्टी को 1 और स्वतंत्र को 03 सीटें मिली थी.
इस चुनाव में बीजेपी को 44.81 फीसदी और कांग्रेस को 35.28 फीसदी वोट मिले थे.
2002- गुजरात दंगा और बीजेपी को फायदा - टर्निंग प्वाइंट 4
नरेंद्र मोदी को राज्य की कमान संभाले एक साल हुआ था और गुजरात ने अपने इतिहास का सबसे भयावह दंगा देखा था. इस चुनाव में बीजेपी और मजबूत होकर उभरी. बीजेपी को 127 सीट मिले वहीं कांग्रेस 51, जनता दल (यू) को 2 सीटें मिली थी.
इस चुनाव में बीजेपी को 49.85 फीसदी वोट मिले थे, जोकि बीजेपी के लिए अबतक का सबसे ज्यादा वोट शेयर है. भले ही कांग्रेस की सीट कम हुई हो लेकिन वोट शेयर बढ़े थे. कांग्रेस को 39.59 फीसदी वोट मिले थे.
2007 में बीजेपी को हुआ था 10 सीटों का नुकसान
इस चुनाव ने बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान हुआ था और कांग्रेस को 8 सीटों का फायदा. बीजेपी को 117, कांग्रेस को 59, एनसीपी को 3, जनता दल (यू) को 1 और इंडिपेंडेंट कैंडिडेट को 02 सीटें मिली थी. वहीं वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी का वोट शेयर 49.12 फीसदी और कांग्रेस का 39.63 फीसदी रहा था.
2012- मोदी के पीएम बनने से पहले का चुनाव
2012 के चुनाव में भी बीजेपी का दबदबा कायम था लेकिन इस बार भी 2 सीटों का नुकसान झेलना पड़ा. इस चुनाव में बीजेपी को 115 (48.30%), कांग्रेस को 61 (40.59%) सीटें मिली थीं.
2017- मोदी केंद्र में, लेकिन 100 के अंदर सिमट गई BJP
पीएम मोदी के नाम पर बीजेपी पूरे देश में चुनाव लड़ रही थी, लेकिन यहां कांग्रेस बीजेपी को कड़ा टक्कर दे रही थी. बीजेपी ने शायद ही सोचा होगा कि कांग्रेस उसे 99 पर रोक देगी. इस चुनाव में बीजेपी को 99 तो कांग्रेस को 77 सीटें हासिल हुई थीं. कांग्रेस का वोट शेयर करीब 43 फीसदी पहुंच गया था. हालांकि बीजेपी का वोट शेयर कम नहीं हुआ और बीजेपी को 49.44 फीसदी वोट मिले.
फिलहाल 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी 150 से ज्यादा सीट जीतने का दावा कर रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)