बाइडेन ने चेतावनी दी है कि अगर वह यूक्रेन में सेना भेजते हैं तो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को व्यक्तिगत रूप से प्रतिबंधित किया जा सकता है। यह चेतावनी ऐसे समय पर सामने आई है, जब रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधियों की बुधवार को वार्ता के लिए बैठक होने वाली है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंगलवार को एक पत्रकार ने बाइडेन से पूछा कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो क्या वह पुतिन पर भी सीधे तौर पर प्रतिबंध लगाएंगे। इसके जवाब में बाइडेन ने कहा, हां, मैं इस पर विचार करूंगा। उन्होंने कहा कि अगर उनका देश यूक्रेन पर हमला करता है, तो इस तरह के कदम का मतलब दुनिया भर में भारी परिणाम के तौर पर होगा।
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पश्चिमी देश यूक्रेन तनाव के बीच रूस के हमले की आशंका के मद्देनजर अपनी तैयारियों और जवाबी कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने में लगा है।
बाइडन ने स्पष्ट किया कि अमेरिका की यूक्रेन में अपने सैनिकों या नाटो बलों को भेजने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा, लेकिन मैं पहले ही कह चुका हूं कि अगर रूसी सेना यूक्रेन में दाखिल होती है तो इसके गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे।
हालांकि टैंक-विरोधी मिसाइलों सहित सैन्य आपूर्ति भेजी गई है। अमेरिका ने भी करीब 8,500 सैनिकों को अलर्ट पर रखा है।
ब्रिटेन भी स्थिति के प्रति उदासीन रहा है और बुधवार को, इसके विदेश मंत्री लिज ट्रस ने बीबीसी को बताया कि बोरिस जॉनसन सरकार ने कुछ भी खारिज नहीं किया है, जिसमें रूसी नेता के खिलाफ प्रतिबंध भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति को ब्रिटेन देख रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, बाइडेन की चेतावनी पर प्रतिक्रिया देते हुए पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध राष्ट्रपति के लिए दर्दनाक नहीं होंगे, लेकिन राजनीतिक रूप से विनाशकारी होंगे।
पश्चिम का दावा है कि रूस आक्रमण करने के लिए तैयार है, लेकिन रूस ने इस तरह के किसी भी इरादे से इनकार किया है।
दूसरी ओर, रूस मांग कर रहा है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल न किया जाए, जैसे कि कई अन्य पूर्व-सोवियत राष्ट्रों और पूर्व में मध्य और पूर्वी यूरोप के कम्युनिस्ट देशों के साथ हुआ है। इसके साथ ही इसने कहा है कि गठबंधन को अपनी सीमाओं के पास उन्नत हथियार नहीं रखने चाहिए, लेकिन नाटो का कहना है कि वह इसके कामकाज पर रूसी वीटो को स्वीकार नहीं कर सकता।
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