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बुंदेलखंड के किसानों की तकदीर बदल सकता है साइंस जनरल में प्रकाशित शोध

बुंदेलखंड के किसानों की तकदीर बदल सकता है साइंस जनरल में प्रकाशित शोध

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संदीप पौराणिक

झांसी, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। बचपन का घटनाक्रम और हालत व्यक्ति के जीवन की दिशा और सोच को बदल देते हैं, ऐसे ही कुछ हुआ है बुंदेलखंड के झांसी जिले के कस्बे मऊरानीपुर में जन्मी डा. अदिति गुप्ता के साथ। उन्होंने बचपन में बुंदेलखंड के किसानों की दुर्दशा को देखा और जब पढ़ाई की तो उनका लक्ष्य यहां के किसानों को इस विभीषिका से मुक्ति दिलाने का बन गया। डॉ. गुप्ता का दुनिया के सबसे बड़े जनरल में से एक 'साइंस' में सूखे की विभीषिका और उससे निदान पर तैयार किया गया शोधपत्र प्रकाशित हुआ है। इस शोध पत्र पर अमल किसानों की तकदीर बदल सकता है।

अमेरिका से प्रकाशित होने वाले जनरल 'साइंस' के अप्रैल के अंक में डॉ. अदिति गुप्ता का 'द फिजियोलॉजी ऑफ प्लांट रिस्पांसेस ड्रॉट' शोधपत्र प्रकाशित हुआ है। डॉ. अदिति ने इस शोध पत्र में बुंदेलखंड सहित दुनिया के उन देशों के हिस्सों का अध्ययन किया गया है जहां सूखा पड़ता है और किसानों को समस्या से गुजरना होता है। साथ ही इस स्थिति में कैसे बदलाव लाया जा सकता है, यह जिक्र है शोधपत्र में।

डॉ. अदिति ने अपने शोधपत्र में पेड़ों को कम पानी में कैसे जीवित रखकर पैदावार बढ़ाई जा सकती है इस बात का जिक्र किया है। साथ ही बीज में जेनेटिक बदलाव किए जाने पर जोर दिया गया है, जिससे बीज को कम पानी की जरुरत होगी, ऐसे पेड़ की जड़ों तक कम पानी भी पहुंचेगा तो वे आसानी से पल्लवित हो सकेंगे। साथ ही बीज में सूखे से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जाए। यह शोधपत्र बुंदेखलंड जैसे क्षेत्र के किसानों के लिए खासा मददगार होगा क्योंकि यह इलाका सूखा की विभीषिका से हर दो-तीन साल में जूझता है।

डॉ. अदिति ने आईएएनएस को बताया, "उनके दादा शिक्षाविद डॉ. जे पी गुप्ता जो महाविद्यालय में प्राचार्य थे, वे अकसर किसानों की समस्या और स्थानीय हालात का जिक्र करते थे। इसके चलते मेरे मन में सदैव यह बात रही है कि ऐसा शोध कार्य किया जाए जिसके जरिए बुंदेलखंड के किसानों की समस्याग्रस्त जिंदगी में बदलाव लाया जा सके। मौका मिला तो इसे ही प्राथमिकता दी।"

मऊरानीपुर निवासी अशोक गुप्ता और दीप्ति गुप्ता की बेटी डॉ. अदिति ने स्नातक स्तर की शिक्षा बुंदेलखंड के एक पिछड़े माने जाने वाले छोटे से कस्बे मऊरानीपुर से पूरी की। इसके बाद उन्होंने इंदौर के प्रतिष्ठित देवी अहिल्या विश्विद्यालय कैम्पस के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस से पोस्ट ग्रेजुएट किया। फिर दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यसालय के एआईपीजीआर (नेशनल इंस्टीट्यूट अफ प्लांट जेनोमी रिसर्च) से पीएचडी की उपाधि हासिल की।

डॉ. अदिति का चयन भारत सरकार की रिसर्च क्षेत्र की सबसे बड़ी फैलोशिप इंस्पायर फैकल्टी अवार्ड के लिए हुआ और उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में शोध कार्य किया। इसके पश्चात उनका चयन पोस्ट डाक्टरल शोध हेतु स्पेन के बार्सिलोना स्थित विश्व के प्रतिष्ठित शोध संस्थान सेंटर फॉर रिसर्च इन एग्रिकल्चरल जेनोमिक्स (क्रेग) में हुआ। यहां वह वर्तमान में शोधकार्य कर रहीं हैं।

डॉ. अदिति गुप्ता के पति डॉ. मंजुल सिंह जेनेटिक्स एवं जेनमिक्स क्षेत्र के वैज्ञानिक हैं। वह भी स्पेन के बार्सिलोना में मेरी क्यूरी फेलोशिप के माध्यम से पौधों की बायोलजिकल क्लक पर शोधकार्य कर रहे हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि 'साइंस' जनरल में यह शोधपत्र उस समय प्रकाशित हुआ है जब स्पेन कोरोना जैसी भीषण आपदा से जूझ रहा है। डॉ. अदिति का यह शोधपत्र पौधों में बिना पैदावार घटाए सूखे से जूझने की क्षमता बढ़ाने के लिए विश्व भर में अपनाए जा रहे उपायों का संकलन है। इस शोधपत्र में उल्लेखित विभिन्न जैव-प्रौद्योगिक रणनीतियां भीषण सूखे की विभीषिका से त्रस्त किसानों के लिये वरदान साबित होगी।

डॉ. अदिति को वर्ष 2016 -17 में राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान अकादमियों द्वारा कृषि एवं पादप विज्ञान व शोध के क्षेत्र में मिलने वाले प्रतिष्ठित यंग साइंटिस्ट प्लैटिनम जुबिली अवार्ड एवं मेडल फॉर यंग साइंटिस्ट मिल चुका है।

--आईएएनएस

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