उन्होंने मोदी को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की ओर से खुद उनके साथ किए गए व्यवहार के बारे में भी याद दिलाया, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
कुमार ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, मैंने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें 2010 के राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के साथ गठबंधन होने के बावजूद बिहार का दौरा करने की अनुमति नहीं दी थी।
कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद, जब मोदी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद थी, नीतीश कुमार ने एक बार फिर उन्हें निमंत्रण भेजकर लॉन्च कार्यक्रम रद्द कर दिया और भाजपा और उनके नेताओं के खिलाफ कई टिप्पणियां भी कीं।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के पूर्व नेता अरुण कुमार ने मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा कि रामविलास पासवान के नेतृत्व में लोजपा प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी की उम्मीदवारी का स्वागत करने वाली पहली पार्टी थी।
उन्होंने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ जाने का फैसला चिराग का ही था। बिहार के जहानाबाद से पूर्व लोकसभा सांसद ने कहा, उन्होंने अपने पिता को भी इसके लिए मना लिया था।
कुमार ने कहा कि भाजपा की सलाह पर लोजपा ने लोकसभा और बिहार विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारने से इनकार कर दिया।
पूर्व सांसद ने कहा, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के 15 साल के कार्यकाल के बावजूद, स्थिति खराब हो गई है। जद (यू) केवल विभाजनकारी राजनीति करता रहा और राज्य को लालू प्रसाद के शासनकाल से भी बदतर बना दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि लोजपा में तख्तापलट के पीछे जद (यू) का हाथ है।
कुमार ने कहा, कई मौकों पर चिराग पासवान ने खुले तौर पर घोषणा की है कि वह आपके (मोदी) लिए एक हनुमान हैं। लेकिन आपकी चुप्पी अच्छी नहीं है। जिस तरह से स्वच्छ छवि और अच्छे इरादों वाला एक दलित युवा आगे आया है। राजनीति में उसे दबाना अच्छा नहीं है। और ये तो चिराग के राजनीतिक करियर को खत्म करने की साजिश है और अगर आप चुप रहे तो आपकी चुप्पी का जिक्र करते हुए इस बारे में इतिहास लिखा जाएगा।
कुमार ने कहा कि वह इस कठिन समय में चिराग के साथ खड़े रहेंगे।
चिराग को उनके चाचा पशुपति कुमार पारस सहित उनकी पार्टी के पांच लोकसभा सांसदों द्वारा तख्तापलट का सामना करना पड़ा है।
पांचों सांसदों ने सोमवार को लोकसभा में चिराग को लोजपा के नेता पद से हटा दिया और मंगलवार को एक आपात बैठक के दौरान उन्होंने चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से भी हटा दिया।
तख्तापलट के बाद, चिराग ने एक आभासी (वर्चुअल) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई और पार्टी के पांच सांसदों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बर्खास्त कर दिया।
चिराग ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए घोषणा की कि जिस तरह से उनके चाचा को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया गया था, वह अवैध था।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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