दिल्ली पब्लिक स्कूल ग्रेटर फरीदाबाद (DPS School Faridabad) के 10वीं कक्षा के एक छात्र की खुदकुशी के चलते जान चली गई थी. पुलिस ने शनिवार 26 जनवरी को यह जानकारी दी थी.
पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि मार्च 2021 में स्कूली बच्चों के एक ग्रुप ने उनके बेटे का स्कूल के शौचालय में उत्पीड़न किया था. जिसकी उन्होंने अधिकारियों से मौखिक शिकायत की थी और बाद में सितंबर 2021 में एक ईमेल भी लिखा था. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. बता दें छात्र की मां भी स्कूल में टीचर हैं.
मृतक अपने पीछे एक नोट छोड़ गया है जिसमें सहपाठियों द्वारा उसकी यौनिकता को लेकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है. साथ ही स्कूल को भी अपने कदम के लिए जिम्मेदार बताया गया है.
सुसाइड नोट में लिखा है, आप शक्तिशाली (मां) हैं परवाह नहीं है कि लोग मेरी लैंगिकता के बारे में क्या कहते हैं, कृपया रिश्तेदार, दादाजी और नियाना को संभालें। स्कूल ने मुझे मार डाला है। उच्च अधिकारी भी जिम्मेदार हैं।
परिजनों का आरोप है कि कई बार शिकायत के बाद भी स्कूल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
फरीदाबाद पुलिस अधिकारी ने कहा, पीड़ित की मां ने हमें अपने बेटे को परेशान करने के लिए स्कूल के अकादमिक प्रमुख के खिलाफ शिकायत दी है. हमने आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है. एक टीम बनाई गई है और हम जांच कर रहे हैं।
पिछले साल की थी स्कूल में शिकायत
दरअसल पिछले साल दो लड़कों ने उनकी सेक्शुअलिटी पर कमेंट किया था। इसके बाद लड़के ने अपनी मां से बात की, जो प्रिंसिपल के पास गईं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस घटना से आहत लड़का अवसाद में चला गया और दवाएं ले रहा था। इस बीच लॉकडाउन के बाद बोर्ड परीक्षा के लिए स्कूल फिर से खुल गया।
गुरुवार की रात मां के घर पहुंचने पर लड़के ने घर से छलांग लगा दी। उसे पास के अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
फरीदाबाद की अपराध शाखा की एक टीम ने अपराध स्थल का दौरा किया और कुछ सबूत एकत्र किए। इस मामले में आगे की जांच जारी है। स्कूल प्रशासन ने अभी तक स्पष्टीकरण जारी नहीं किया है। पोस्टमॉर्टम पास के सरकारी अस्पताल में किया गया और रिपोर्ट का अभी इंतजार है।
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फरीदाबाद पुलिस का बयान
फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता ने कहा, “लड़का डीपीएस में पढ़ता था और अपनी मां जो की एक टीचर है उनके साथ रहता था. पिछले साल दो बच्चों ने उनके खिलाफअभद्र टिप्पणी की थी. इसकी शिकायत उसकी मां ने प्रिंसिपल से की लेकिन अधिकारियों ने कुछ नहीं किया. हमें बताया गया है कि इसके बाद छात्र डिप्रेशन में चला गया और इलाज करा रहा था. लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद था और लड़का घर पर था. स्कूल खुला तो परीक्षा के कारण वो फिर स्कूल जाने लगा. उसे लगा कि उसे (मानसिक रूप से) प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने एक स्कूल शिक्षक से भी इस विषय में उनकी मदद करने का भी अनुरोध किया, लेकिन शिक्षक ने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई और छात्र और उसकी मां पर उसे बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया"
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