चुनाव आयोग ने आधार की वोटिंग कार्ड से मेंडेटरी (बाध्यकारी) लिंकिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाया है.
इससे पहले चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा था कि वोटर आईडी की आधार से लिकिंग बाध्यकारी नहीं है. यह वोटर पर की इच्छा पर निर्भर है कि वो लिंकिंग करवाए या नहीं.
आयोग के मुताबिक, सरकार के आधार एक्ट को पास करने के कारण अब आयोग लिकिंग को बाध्यकारी बनाना चाहता है. इससे फ्राड को रोकने में भी मदद मिलेगी.
2017 के मार्च महीने में आधार एक्ट पास हुआ था. इसके जरिए लगभग सभी सरकारी सेवाओं के लिए आधार को बाध्यकारी बना दिया गया है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट आधार की वैधता के खिलाफ कुछ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इसी हफ्ते कोर्ट आधार से योजनाओं की लिंकिंग की डेडलाइन को 31 मार्च से आगे बढ़ाने पर भी फैसला करेगा.
क्या है मामला
आयोग ने सबसे पहले 2015 में इलेक्टर्स फोटो आईडेंटिटी कार्ड (EPIC) की आधार से लिंकिंग शुरू की थी. उस वक्त HS ब्रह्मा मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक साल बाद योजना बंद कर दी गई थी. कोर्ट का कहना था कि आधार लिंकिंग केवल एलपीजी और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के लिए होनी चाहिए.
जुलाई 2017 में इलेक्शन कमीशन ने वोटिंग कार्ड और आधार लिंकिंग प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. उस वक्त चुनाव आयोग ने कहा था कि लिंकिंग बाध्यकारी नहीं बल्कि स्वैच्छिक है. वोटर्स की सेवाओं पर आधार नंबर न होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
इसके बाद एके जोती CEC बने. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जोती के आने के बाद आयोग ने लिकिंग को बाध्यकारी बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत की. वर्तमान CEC रावत ने आधार लिंकिंग को बाध्यकारी बनाए जाने के आयोग की कोशिशों की पुष्टि की है. हालांकि आयोग वोटर आईडी की जगह आधार कार्ड को उपयोग किए जाने के खिलाफ है.
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