कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाल और अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को प्रेसवार्ता कर कहा, न तो वो आजादी के आंदोलन की आवाज नेशनल हेराल्ड को बंद करवा पाएंगे, और न ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी को डरा पाएंगे।
सुरजेवाल ने कहा कांग्रेस का नेतृत्व निर्भीक, निडर व अडिग है। हम ऐसे हथकंडों से डरने वाले नहीं, झुकने वाले नहीं, बल्कि सीना ठोंककर जोर से लड़ेंगे। नेशनल हेराल्ड अखबार का मूल मंत्र आज भी उतना ही प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा की अंग्रेजी हुकूमत को जड़ उखाड़ने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने साल 1937 में नेशनल हेराल्ड अखबार निकाला, जिसके प्रणेता महात्मा गांधी, पंडित नेहरु, सरकार पटेल शपुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद किदवई व अन्य थे। अंग्रेजों को इस अखबार से इतना खतरा महसूस हुआ कि उन्होंने साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नेशनल हेराल्ड पर प्रतिबंध लगा दिया, जो साल 1945 तक जारी रहा। आजादी के आंदोलन की आवाज बने इस अखबार का मूल मंत्र था - आजादी खतरे में है, अपनी पूरी ताकत से इसकी रक्षा करें।
आज फिर उस अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन करने वाली विचारधारा आजादी के आंदोलन की आवाज दबाने का षडयंत्र कर रही है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि देश को गुमराह करने के लिए आए दिन मुद्दों को भटकाने की राजनीति की माहिर केंद्र मोदी सरकार बदले की भावना में अंधी हो गई है। वह जान लें कि स्वतंत्रता के आंदोलन की यह आवाज उनके चक्रव्यूह को भेद डालेगी।
वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सोनिया गांधी को 8 जून को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया गया है। वे लोग इस नोटिस से डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं। जून को सोनिया पूछताछ में शामिल होंगी। राहुल फिलहाल विदेश गए हैं। अगर वह तबतक वापस आ गए तो जाएंगे। वरना ईडी से और वक्त मांगा जाएगा।
सिंघवी ने कहा कांग्रेस ने साल 1937 में स्थापित नेशनल हेराल्ड अखबार चलाने वाली कंपनी, एसोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को लगभग 10 साल वक्त में, लगभग 100 किश्तों में चेक द्वारा अपनी देनदारी के भुगतान के लिए 90 करोड़ रु. की राशि दी।
इसमें से 67 करोड़ का इस्तेमाल नेशनल हेराल्ड ने अपने कर्मचारियों की बकाया सैलरी देने में किया। बाकी पैसा बिजली भुगतान, किराया, भवन आदि पर खर्च किया गया। नेशनल हेराल्ड अखबार आय के अभाव में कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं था, इसलिए इसकी एवज में असोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के शेयर यंग इंडिया को दे दिए गए थे। जो कि कानून में एक नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी है।
मतलब यंग इंडिया की मैनेजिंग कमिटी के सदस्य (सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती लाल वोहरा) थे। ये लोग किसी प्रकार का मुनाफा, डिवीडेंड, तऩख्वाह या कोई वित्तीय फायदा इससे नहीं ले सकते थे। साथ ही मैनेजिंग कमिटी यंग इंडिया के शेयर को भी नहीं बेच सकती।
इसका मतलब, यंग इंडिया से एक पैसे का न वित्तीय लाभ लिया जा सकता, और न ही इसके शेयर को बेचा जा सकता। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि पार्टी नेशनल हेराल्ड, एसोशिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और यंग इंडिया को केवल कांग्रेस पार्टी नहीं, बल्कि देश की धरोहर मानते हैं।
--आईएएनएस
पीटीके/एएनएम
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