देश में कोविड 19 से पीड़ित मरीजों के इलाज के कारण बायो मेडिकल वेस्ट में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है। लोकसभा में शुक्रवार को हुए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।
दरअसल, लोकसभा के एक सांसद ने अतारांकित सवाल में पूछा गया था कि क्या मार्च 2020 से कोविड वैश्विक महामारी के बाद बायो मेडिकल वेस्ट की संख्या में अत्यधित वृद्दि हुई है। यदि हां तो तीन साल का ब्यौरा क्या है? केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अश्निनी कुमार चौबे ने यह स्वीकार किया कि कोविड 19 के कारण देश में पहले से कहीं ज्यादा बायो मेडिकल कूड़ा उत्पन्न हुआ है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि कोविड 19 जैव चिकित्सा अपशिष्ट ऐप के माध्यम से संकलित जानकारी के अनुसार जून 2020 से जून 2021 के बीच कुल 56,898 टन कोविड बायो मेडिकल वेस्ट उत्पन्न हुआ।
उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले वर्ष 2019-20 में सिर्फ 615 टन, 2018-19 में 608 और 2017-18 में 531 टन बायो मेडिकल वेस्ट उत्पन्न हुआ था। इन आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में जैव चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादन में बढ़ोत्तरी हुई है। केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण(संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 को अधिसूचित किया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बायो मेडिकल वेस्ट के निपटारे के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर भी इसकी व्यवस्था है।
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