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भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदला, अब रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा

भोपाल का हबीबगंज रेलवे स्टेशन अब रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा.

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भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन को फिर से बनाए जाने और यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं शुरू किए जाने के साथ अब इसे रानी कमलापति स्टेशन के नाम से जाना जाएगा।

केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने शनिवार को जारी एक आदेश जारी कर हबीबगंज रेलवे स्टेशन के डिस्ले बोर्डो पर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन लिखवाना शुरू कर दिया है।

यह काम 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन से ठीक एक दिन पहले किया गया। मोदी इस पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन का उद्घाटन भी करेंगे।

मध्य प्रदेश परिवहन विभाग ने शुक्रवार देर रात केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर हबीबगंज स्टेशन का नाम गोंड (आदिवासी) रानी कमलापति के नाम पर रखने की मंजूरी मांगी।

दिलचस्प बात यह कि राज्य भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक गुट ने हबीबगंज स्टेशन का नाम दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखे जाने की इच्छा जताई थी। कुछ दिन पहले, भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर के नेतृत्व में एक समूह ने मुख्यमंत्री चौहान को पत्र लिखकर हबीबगंज स्टेशन का नाम वाजपेयी के नाम पर रखने की मांग की थी।

हालांकि, 2023 में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों पर नजर रखते हुए चौहान ने रानी कमलापति का नाम चुना, जिन्हें भोपाल की अंतिम हिंदू रानी माना जाता है।

आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री चौहान आदिवासी समुदायों की एक जनसभा को संबोधित करेंगे और आदिवासियों पर केंद्रित कई योजनाओं की घोषणा करेंगे।

बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जा रही है।

इस कदम को विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में हिंदू मतदाताओं को खुश करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा यहां कांग्रेस के 36 के मुकाबले केवल 15 सीटें जीतने में सफल रही थी।

चौहान ने शनिवार को कहा, रानी कमलापति गोंड समुदाय की शान हैं और भोपाल की अंतिम हिंदू रानी थीं। उनका राजपाट अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद ने एक साजिश के तहत छल से हड़प लिया था। जब उन्हें लगा कि दोस्त मोहम्मद से युद्ध जीतना संभव नहीं है, तब उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए जल जौहर किया था।

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