सुखविंदर सिंह सुक्खू के हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह के परिवार की छाया से बाहर निकलने की कोशिश की है, जो दशकों से राज्य की राजनीति में पार्टी के लिए सबसे आगे थे।
सुक्खू के शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द से जल्द किए गए सभी वादों को पूरा करने की कोशिश करेगी।
सुक्खू की पदोन्नति को पार्टी द्वारा भाई-भतीजावाद को कम करने और परिवारों को बढ़ावा देने के आरोपों पर लगाम लगाने के रूप में देखा जा रहा है। हिमाचल के नवनियुक्त मुख्यमंत्री जमीन से उठे हुए नेता हैं यानी बहुत विनम्र शुरूआत करते हुए रैंकों के जरिए यहां तक पहुंचे हैं। इसलिए पार्टी ने शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली और स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह की जगह पर सुक्खू को चुना है।
कोई राजनीतिक वंशवाद नहीं, लेकिन व्यापक संगठनात्मक अनुभव के साथ, चार बार के कांग्रेस विधायक 58 वर्षीय सुखविंदर सिंह सुक्खू का अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे वीरभद्र सिंह के साथ 36 का आंकड़ा रहा।
सुखविंदर सिंह सुक्खू के अलावा चार बार के विधायक 60 वर्षीय मुकेश अग्निहोत्री ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सुक्खू और अग्निहोत्री दोनों ने हिंदी में शपथ ली।
आनंद शर्मा ने अपने ट्वीट में विनम्र शुरूआत का जिक्र करते हुए कहा, हिमाचल प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री बनने पर सुखविंदर सुक्खू को बधाई। कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी जीवन भर की प्रतिबद्धता और योगदान को स्वीकार करने के लिए वह काफी सम्मान के हकदार थे।
शर्मा ने कहा कि वह आभारी हैं कि पार्टी नेतृत्व ने एक लोकतांत्रिक फैसला लिया और रैंक से ऊपर उठे सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुना।
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