नई दिल्ली, 31 मार्च (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने पिछले महीने सर्वोच्च न्यायायल के कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन के आदेश के संदर्भ में कर्नाटक विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए न्यायालय से तीन महीने की मोहलत मांगी है। केंद्र का मानना है कि विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के दौरान अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम की धारा 6(ए) के तहत किसी योजना के गठन और उसकी अधिसूचना से जनता में आक्रोश पैदा होगा, चुनावी प्रक्रिया में बाधा आएगी और कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा होगी।
कावेरी बोर्ड के गठन के लिए न्यायालय से मिली छह सप्ताह की समयसीमा के शुक्रवार को समाप्त होने के एक दिन बाद न्यायालय में एक हलफनामा के जरिए केंद्र ने कहा है कि योजना गठित करने को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु सहित चार राज्य सरकारों द्वारा व्यक्त की गई अलग-अलग राय के कारण यम हमसूस किया गया कि यदि केंद्र सरकार खुद से कोई योजना लाती है, तो राज्य फिर से न्यायालय में जाएंगे।
केंद्र ने केरल और कर्नाटक सरकारों के रुख का जिक्र किया है, जिनमें कहा गया है कि अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तावित किसी भी योजना को अधिसूचित करने से पहले उसे उनके साथ साझा किया जाए।
चुनाव आयोग द्वारा कर्नाटक में चुनाव की घोषणा का हवाला देते हुए केंद्र ने कहा, कावेरी मुद्दा कर्नाटक के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है और इस मुद्दे के कारण पहले भी कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है, जिसमें जान-माल का नुकसान हुआ है।
याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्या केंद्र सरकार धारा 6(ए) के अंतर्गत कावेरी प्रबंधन बोर्ड के संबंध में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण की रिपोर्ट की सिफारिशों से अलग योजना बना सकती है?
याचिका में यह भी पूछा गया है कि न्यायाधिकरण ने जिस बोर्ड के गठन की सिफारिश की है, क्या केंद्र सरकार को बोर्ड की संरचना में इस तरह का बदलाव करने की छूट होगी कि उसे विशुद्ध रूप से एक तकनीकी संस्था बनाने के बदले एक प्रशासनिक और तकनीकी रूप से मिश्रित संस्था बनाया जाए, ताकि बोर्ड का कामकाज प्रभावी रूप से संचालित हो?
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