महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण पर बड़ा कदम उठाया है. इसके मुताबिक मराठाओं को रिजर्वेशन दिया जाएगा. उन्हें शैक्षणिक और सामाजिक तौर पर पिछड़ा (SEBC) माना गया है. मराठाओं को दिए जाने वाले आरक्षण से मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में कोई फर्क नहीं पड़ेगा. कैबिनेट ने इन प्रावधानों को मंजूरी दे दी है. अब विधानसभा में मामला पहुंचेगा.
महाराष्ट्र में फिलहाल एससी, एसटी, ओबीसी और विमुक्त जाति और घूमंतू जनजातियों (VJNT) के आरक्षण को मिलाकर 49 फीसदी आरक्षण लागू है. राज्य में रिजर्वेशन लिमिट 52 फीसदी है.
महाराष्ट्र के पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठा आरक्षण पर राज्य सरकार को तीन रिकमेंडेशन दी थीं.
- मराठाओं को सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ा माना जाए.
- उन्हें संविधान के आर्टिकल 15(4) के तहत रिजर्वेशन दिया जाए.
- इसके लिए सरकार जरूरी फेरबदल और कदम उठा सकने में सक्षम है.
ये तीनों रिकमेंडेशन सरकार ने मान ली हैं. मराठा आरक्षण के लिए सोशल एंड इकनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (SEBC) नाम से एक कैटेगरी बनाई जाएगी जिसके लिए सरकार ने इसके लिए एक सबकमेटी भी गठित कर दी है.
धनगर रिजर्वेशन पर केंद्र से बात करेगी सरकार
धनगर समुदाय के लोग ST कैटेगरी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर भी राज्य सरकार को रिपोर्ट मिल चुकी है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इस काम के लिए केंद्र सरकार ही कानून बना सकती है. इसलिए राज्य सरकार, केंद्र से इस बारे में संपर्क करेगी.
सरकार का कहना है कि कुछ लोग आरक्षण पर राजनीति कर रहे हैं. इसके जरिए वे समुदायों के बीच टकराव पैदा कर रहे हैं. इसमें विपक्षी पार्टियां भी शामिल हैं.
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