पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को ऐसे समय में पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आने के लिए चीन का महिमामंडन किया, जब आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ ने राहत पैकेज के बीच मझधार में छोड़ दिया था. मीडिया की रिपोर्टों में यह बात कही गई है.
पाकिस्तान और चीन के बीच 1,200 मेगावाट वाले चश्मा-5 (सी-5) परमाणु ऊर्जा परियोजना के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए इस्लामाबाद में आयोजित एक समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा, आईएमएफ के साथ समझौते में असामान्य रूप से देरी हुई और चीन एक बार फिर हमारे बचाव में आया है.
जियो न्यूज ने बताया कि देश के पास मुश्किल से एक महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है. उसे नवंबर में 1.1 अरब डॉलर की धनराशि जारी होने की उम्मीद थी - लेकिन आईएमएफ ने और अधिक भुगतान करने से पहले कई शर्तों पर जोर दिया.
नतीजतन, पाकिस्तान को उम्मीद थी कि चीन कर्ज देकर अपने भुगतान के दबाव को कम करना जारी रखेगा क्योंकि चिंताएं पैदा हुईं कि दक्षिण एशियाई राष्ट्र डिफॉल्ट रूप से अगला उभरता हुआ बाजार बन सकता है.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने पहले कहा था कि देश शुक्रवार को चीन को 30 करोड़ डॉलर का ऋण चुकाने की योजना बना रहा है और 30 जून तक उसे 100 करोड़ डॉलर का ऋण दोबारा मंजूर कर दिया जाएगा. पाकिस्तान ने हाल ही में चीन को अलग से 100 करोड़ डॉलर का ऋण भी लौटाया, जिसे पिछले सप्ताह नए सिरे से पाकिस्तान को दिया गया.
प्रधानमंत्री शहबाज ने कहा, जब पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, और हम नौवीं समीक्षा को अंतिम रूप देने के लिए आईएमएफ के साथ भी बात कर रहे हैं और आईएमएफ द्वारा आवश्यक सभी शर्तों को पूरा करते हैं, चीन एक बार फिर हमारी मदद के लिए आया है.
पाकिस्तान को जुलाई में शुरू हो रहे वित्त वर्ष में 23 अरब डॉलर का ऋण चुकाना है.
चीन ने पाकिस्तान को लंबे समय से हर साल कर्ज दिया है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीनी बैंकों ने मार्च में दो अरब डॉलर का लोन दिया था. अब पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि जून में 2.3 अरब डॉलर के ऋण का पुनर्गठन किया जाएगा.
--आईएएनएस
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