भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष के पद से हटने के बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सौरव गांगुली ने गुरुवार को कहा कि सभी को अंतत: हताशा का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने कहा, कोई भी जीवन भर प्रशासक के रूप में जारी नहीं रह सकता है. सभी को किसी न किसी समय हताशा का सामना करना पड़ता है. जब आप जल्दी सफलता को देखते हैं तो ऐसा कभी नहीं होता है. याद रखें, कोई नरेंद्र मोदी या सचिन तेंदुलकर या अंबानी रातोंरात नहीं बन जाता है.
गांगुली ने कहा कि उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल का भरपूर आनंद लिया और उपलब्धियों का हवाला दिया.
हालांकि, एक क्रिकेटर के रूप में मेरा जीवन बहुत अधिक कठिन था. यदि आप देखें तो जब मैं बीसीसीआई अध्यक्ष था तो पिछले तीन वर्षों के दौरान भारतीय क्रिकेट में कई विकास हुए हैं. हमने कोविड-19 महामारी के एक अत्यंत कठिन दौर के दौरान क्रिकेट का आयोजन किया.
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता. भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम को विदेशों में कई सफलताएं मिलीं. फिर भी जैसा कि मैंने कहा कि कोई भी जीवन भर प्रशासक के रूप में जारी नहीं रह सकता है.
बिना किसी विवरण का उल्लेख किए, गांगुली ने संकेत दिया कि लोग उन्हें जल्द ही एक नई भूमिका में देख सकते हैं.
उन्होंने कहा, एक समय आता है जब सभी को नई शुरूआत करनी होती है. क्रिकेट प्रशासक के रूप में मेरा करियर शायद यहीं समाप्त हो गया. अब मुझे एक नई भूमिका में देखा जा सकता है. वहां भी मैं शून्य से शुरूआत करूंगा.
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में अपने जीवन का उल्लेख करते हुए गांगुली ने कहा कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया, जबकि तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ जैसे अधिक योग्य खिलाड़ी कप्तान बनने के लिए थे.
उन्होंने कहा, लेकिन मुझे कप्तान इसलिए बनाया गया था ताकि मैं एक लीडर के रूप में टीम का नेतृत्व कर सकूं और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकूं. एक बार द्रविड़ को टीम से बाहर किया जाने वाला था. लेकिन मैंने उनके लिए लड़ने का फैसला किया.
हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया कि आखिरकार, उन्हें अपना पद क्यों छोड़ना पड़ा. उन्होंने किसी भी सवाल पर विचार करने से भी इनकार कर दिया कि क्या बोर्ड के अन्य सदस्यों के साथ उनके मतभेद कई कंपनियों के लिए उनके विज्ञापन को लेकर थे.
--आईएएनएस
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