अगरतला, 23 फरवरी (आईएएनएस)| निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को त्रिपुरा में छह मतदान केंद्रों पर फिर से मतदान कराने का मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को निर्देश दिया।
इनमें से एक मतदान केंद्र धनपुर विधानसभा क्षेत्र में है, जहां से मुख्यमंत्री और माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार चुनाव लड़ रहे हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने जहां 18 फरवरी के मतदान के दौरान कर्तव्य निर्वहन में आपराधिक लापरवाही के लिए निर्वाचन विभाग के अधिकारियों की आलोचना की है, वहीं कांग्रेस ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने के लिए निर्वाचन आयोग और चुनावी मशीनरी, दोनों की आलोचना की है।
त्रिपुरा निर्वाचन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, निर्वाचन आयोग ने त्रिपुरा की छह विधानसभा क्षेत्रों में छह मतदान केंद्रों पर 26 फरवरी को फिर से मतदान कराने के लिए सीईओ से कहा है।
अधिकारी ने कहा कि ईसी ने सात विधानसभा क्षेत्रों में सात मतदान केंद्रों के वीवीपैट के संबंध में भी आदेश जारी किए हैं, क्योंकि संबंधित मतदान अधिकारी कथित रूप से वास्तविक मतदान शुरू होने से पूर्व अनिवार्य मॉक मतदान के दौरान ईवीएम कंट्रोल यूनिट से मत डाले जाने की पुष्टि नहीं पा सके थे।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि चार विधानसभा सीटों के चार मतदान केंद्रों में मतदाताओं की कुल संख्या और वहां हुए मतदान की संख्या अलग-अलग रही।
अधिकारी ने कहा, निर्वाचन आयोग ने चार विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचन अधिकारियों से यह भी कहा है कि यदि जीत का अंतर एक वोट का हो तो पूर्व अनुमति के बगैर परिणाम की घोषणा न की जाए।
माकपा की त्रिपुरा इकाई के सचिव, बिजन धर ने मतदान के संबंध में आपराधिक लापरवाही के लिए निर्वाचन विभाग की आलोचना की है।
धर ने एक बयान में कहा, ईवीएम-वीवीपैट में तकनीकी समस्याओं के कारण मतदाताओं को वोट डालने के लिए 18 फरवरी को आधी रात तक परेशान होना पड़ा। यह स्थिति निर्वाचन अधिकारियों की अक्षमता और उदासीनता के कारण पैदा हुई।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीराम तरणीकांति ने इसके पहले राज्यभर में 191 वीवीपैट और 89 ईवीएम में गड़बड़ी की बात कही थी।
धर ने कहा कि लगभग 500 मतदान केंद्रों से ईवीएम-वीवीपैट में तकनीकी गड़बड़ी की सूचना मिली थी और उन्होंने इसकी जांच की मांग की।
कांग्रेस की त्रिपुरा इकाई के उपाध्यक्ष तापस डे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाम लिए बगैर कहा कि निर्वाचन आयोग और निर्वाचन विभाग के अधिकारियों ने एक खास पार्टी का पक्ष लिया।
भारत के चुनावी इतिहास में मतदान का एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए त्रिपुरा की 60 सीटों में से 59 सीटों के लिए राज्य के 2,536,589 मतदाताओं में से 92 फीसदी से अधिक ने मतदान किए।
इसके पहले 2013 और 2008 के विधानसभा चुनावों में त्रिपुरा में क्रमश: 92 फीसदी और 91 फीसदी मतदान दर्ज किए गए थे।
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