अजमेर में 11 अक्टूबर 2007 को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में हुए बम ब्लास्ट केस में एनआईए की विशेष अदालत ने सजा का ऐलान कर दिया है. बुधवार को आए इस फैसले में देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को उम्रकैद की सजा सुनाई है. जबकि तीसरे दोषी सुनील जोशी की पहले ही मौत हो चुकी है.
कोर्ट ने इससे पहले 8 मार्च को 9 में से उपरोक्त 3 आरोपियों को दोषी ठहराया था, लेकिन सजा नहीं सुनाई थी. जबकि सबूतों के अभाव के चलते आरोपी स्वामी असीमानंद को बरी कर दिया था.
कब किया गया हमला?
11 अक्टूबर 2007 को शाम रोजा इफ्तार के समय दरगाह परिसर में एक बम ब्लास्ट हुआ. इसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी और 15 लोग घायल हो गए थे. धमाके के बाद पुलिस ने छानबीन की तो एक जिंदा बम भी बरामद किया गया था, जिसमें बाद में निष्क्रिय किया गया.
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