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श्री श्री रविशंकर बनाम NGT- इस लड़ाई में यमुना की सुध कौन ले रहा?

इस मामले में सुनवाई 9 मई रखी गई है.

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि एनजीटी कमेटी की रिपोर्ट को कथित तौर पर पूर्वाग्रह से प्रभावित बताने वाला श्री श्री रवि शंकर का बयान "चौंकाने वाला" है.

एनजीटी बेंच ने याचिकाकर्ता को बयान के विवरण के साथ आवेदन करने के लिए अनुरोध किया ताकि अदालत मौजूद रिकॉर्ड पर मुद्दा उठा सके.

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आर्ट आॅफ लिविंग को फटकार लगाते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि-“क्या आपको जिम्मेदारी से कोई मतलब नहीं है. क्या आपको ये लगता है कि आप जो भी चाहते हैं, उसे कहने की स्वतंत्रता है?"

इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 9 मई रखी गई है.

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इसपर श्री श्री ने जवाब देते हुए कहा है कि वो लोग जो आर्ट आॅफ लिविंग को गैरजिम्मेदार बता रहे हैं वो हमें नहीं जानते या उनके पास सेंस आॅफ ह्यूमर की कमी है.

उन्होंने एनजीटी को निशाने पर लिया.

सच्चाई ये है कि हमने यमुना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. जब झूठ सामने आया तो ये चौंकाने वाला हो गया.
श्री श्री रविशंकर

सरकार और एनजीटी पर बरसे थे श्री श्री

हाल ही श्री श्री रविशंकर का बयान आया था कि अगर यमुना इतनी ही नाजुक है तो विश्व सांस्कृतिक महोत्सव रोक देना चाहिए था.

उन्होंने कहा कि जुर्माना तो केंद्र सरकार, राज्य सरकार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पर लगना चाहिए, क्योंकि आर्ट ऑफ लिविंग ने इस कार्यक्रम के लिए सभी संबंधित निकायों व विभागों की मंजूरी ली थी.

रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सभी सिद्धांतों की अनदेखी का आरोप लगाया था.

दिल्ली के वाटर मिनिस्टर कपिल मिश्रा ने विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करने के लिए श्री श्री को दोबारा इनवाइट किया. उन्होंने यमुना के फ्लडप्लेन्स (floodplains) इलाके में तबाही मचाने के लिए वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को कारण बताओ नोटिस दिए जाने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा था, यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल के पहले यमुना में डॉल्फिन तैरती थीं. दुनिया भर से टूरिस्ट यहां हैरानी के तौर पर आते थे.

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