केंद्र सरकार ने कृषि आय पर टैक्स लगाए जाने को पूरी तरह से खारिज कर दिया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संविधान में मिले अधिकारों के तहत केंद्र सरकार के पास कृषि आय पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है. इससे पहले नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने कृषि आय को टैक्स के दायरे में लाने का सुझाव देकर राजनीतिक हल्कों में तूफान खड़ा कर दिया था.
जेटली इस समय मॉस्को की यात्रा पर हैं. उन्होंने एक बयान में कहा,
मैं स्पष्ट तौर पर यह कहना चाहता हूं कि सरकार का कृषि आय पर टैक्स लगाने की कोई योजना नहीं है.
देबरॉय के बयान से अलग हुआ नीति आयोग
नीति आयोग ने एक प्रेस रिलीज जारी कर देबरॉय के बयान से खुद को अलग कर लिया है. आयोग ने कहा कि देबरॉय ने इस बारे में जो कुछ कहा है वह उनके ‘‘व्यक्तिगत'' विचार हैं.
नीति आयोग स्पष्ट तौर पर यह कहता है कि कृषि आय पर कर लगाने संबंधी विचार न तो आयोग के हैं और न ही 23 अप्रैल 2017 को इस तरह की कोई सिफारिश की गई है.
कृषि पर टैक्स लगाने पर क्या बोले थे देबरॉय?
देबरॉय एक जाने माने अर्थशास्त्री हैं. उन्होंने मंगलवार को कहा था कि टैक्स बेस बढ़ाने के लिये एक सीमा से अधिक की कृषि आय पर टैक्स लगाया जाना चाहिये. कृषि आय पर टैक्स लगाने का मुद्दा राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील मुद्दा है और सरकारें यह कदम उठाने से दूर हटती रही हैं.
बहरहाल, नीति आयोग के एक सूत्र ने कहा कि तीन साल के कारवाई एजेंडा मसौदे में केवल इस बात का जिक्र किया गया है कि उन इकाइयों पर नजर रखी जानी चाहिये जो कि कृषि आय की आड़ में टैक्स चोरी करती हैं. दस्तावेज में कहा गया है कि ऐसी गैर-कृषि कंपनियों को जो कि अपनी आय को कृषि आय दिखाकर कर भुगतान से बचतीं हैं, उन्हें कर दायरे में लाया जाना चाहिये.
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