नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी NITI आयोग के वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. 31 अगस्त पनगढ़िया के कार्यकाल का आखिरी दिन होगा.
बता दें कि अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि वो इसके बाद एकेडमिक्स के क्षेत्र में लौटेंगे.
अरविंद पनगढ़िया के बारे में खास बातें ?
- अरविंद पनगढ़िया नीति आयोग के पहले वाइस चेयरमैन बनाए गए थे, नीति आयोग का गठन मोदी सरकार ने योजना आयोग की जगह पर किया है.
- अरविंद पनगढ़िया कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं. वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ , डबल्यूटीओ (विश्व व्यापार संगठन) और यूएन (संयुक्त राष्ट्र) में काम कर चुके हैं.
- पनगढ़िया को नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों का समर्थक माना जाता है.
- एशियन डेवलपमेंट बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट भी रह चुके हैं और इन्होंनें 10 किताबें भी लिखीं हैं. इनकी हालिया किताब “इंडिया: द इमर्जिंग जाइंट” साल 2008 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने प्रकाशित की थी.
- प्रो अरविंद पनगढ़िया खुली अर्थव्यवस्था के बड़े पैरोकार माने जाते हैं. उन्हें नीति आयोग का उपाध्यक्ष बनाने के फैसले को आर्थिक सुधार तेज़ करने की मोदी सरकार की कोशिश के तौर पर देखा गया.
- 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में पद्मभूषण से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अमेरिका की प्रिसेंटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की है.
पीएम मोदी के प्रशंसक माने जाते हैं पनगढ़िया
अरविंद पनगढ़िया नरेंद्र मोदी और उनके गुजरात मॉडल के बड़े समर्थक रहे हैं. नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने जब नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की आलोचना की थी और उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था तो दुनिया के जो दो बड़े अर्थशास्त्री मोदी के बचाव में आगे आए वो थे प्रो जगदीश भगवती और अरविंद पनगढ़िया.
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