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‘जल्‍लीकट्टू’ पर SC ने कसी ‘लगाम’, केंद्र व राज्‍यों को भेजा नोटिस

केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में ‘जल्‍लीकट्टू’ जारी रहने की इजाजत दी गई थी.

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने ‘जल्‍लीकट्टू’ जारी रहने की इजाजत दी थी. इसके साथ ही अदालत ने केंद्र, तमिलनाडु और वैसे राज्‍यों को नोटिस भेजा है, जहां ‘जल्‍लीकट्टू’ का खेल होता है.

केंद्र सरकार ने इस साल 8 जनवरी को ‘जल्‍लीकट्टू’ के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था.

दरअसल, यह एक खतरनाक उत्‍सव है, जिसमें सांडों को पहले खुला छोड़ दिया जाता है, फिर उसे काबू में करने की कोशिश की जाती है. तमिलनाडु के मदुरै और त्रिची जैसी जगहों में जल्लीकट्टू का आयोजन ज्‍यादा होता है.

पशु प्रेमियों को इस बात से ऐतराज है कि इसमें एक अपने मजे के लिए किसी जानवरों का इस तरह इस्‍तेमाल किया जाता है. साथ ही यह ऐसा खतरनाक खेल है, जिसमें किसी इंसान की जान भी जा सकती है.

केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में ‘जल्‍लीकट्टू’ जारी रहने की इजाजत दी गई थी.
जल्‍लीकट्टू कई बार जानलेवा साबित होता है (फोटो: Reuters)

पहले ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सांडों को काबू में करने का ‘स्‍टंट’ दिखलाते लोगों की जान चली गई.

केंद्र के नोटिफिकेशन में क्‍या है?

केंद्र सरकार ने पोंगल पर्व के दौरान तमिलनाडु में परंपरागत जल्लीकट्टू की इजाजत दी थी. केंद्र ने एक नोटिफिकेशन के जरिए सांडों को उन पशुओं की लिस्‍ट से निकाल दिया, जिनके सार्वजनिक प्रदर्शन की मनाही है.

केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू में सांड़ो को करतब दिखाने वाले जानवरों के रूप में इस्तेमाल की इजाजत दे दी थी. साथ ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, केरल और गुजरात में बैलगाड़ी दौड़ को भी अनुमति मिल गई थी. हालांकि बैलगाड़ी दौड़ के आयोजन के लिए पहले कमिश्‍नर या डीएम से इजाजत लेनी होगी.

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद अब मामला पूरी तरह से कानून के पाले में है.

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