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राॅकी यादव: पिस्टल और दबंगई के बीच पला- बढ़ा एक ‘बिगड़ैल’ रईसजादा

कौन है रॉकी यादव? जानिए उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल से.

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पिछले दिनों राॅकी यादव उर्फ राकेश रंजन यादव ने कथित तौर पर 20 साल के आदित्य सचदेवा की महज गाड़ी ओवरटेक करने के कारण गोली मार कर हत्या कर दी. विधान परिषद सदस्या मां के बेटे राॅकी के इस कांड के कारण गया शहर सुर्खियों में है.

आइए देखते हैं रॉकी का फेसबुक पेज उसकी शख्सियत के बारे में क्या कहता है?

कार प्रेमी है रॉकी

राॅकी को यह बात भी चुभी कि आखिर 5 लाख की स्विफ्ट उसकी 1.5 करोड़ की लैंड रोवर को कैसे ओवरटेक कर गई.

राॅकी असल जिंदगी को फिल्मी स्टाइल में जीने का शौक रखता है. फिल्मी टशन के लिए महंगी गाड़ियों, ताकत, चमचों और तमंचों का शौक इनका फितूर है. इस फितूर को अंजाम तक पहुंचाने का काम करता है पैसा और सत्ता.

राॅकी की पढ़ाई - लिखाई

अपनी मां के अनुसार राॅकी दिल्ली में सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहा था . वहीं उसके जानने वालों का कहना है वह दिल्ली में अपने पिता का कारोबार देख रहा था.

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धार्मिक राॅकी

अगर रॉकी यादव के फेसबुक पोस्ट्स पर ध्यान दें तो पाएंगे कि वो धर्म-कर्म में भी काफी रुचि रखता है. खासकर बिहार में प्रचलित ‘छठ मैया’ पूजन से लेकर नवरात्रों में जागरण तक के बारे में उसने फेसबुक पोस्ट डाले हैं.

बंदूकों से रॉकी को था खास लगाव

इटली में बनी, 50 मीटर तक मार करने वाली,10 लाख रुपये की ‘ब्रेटा’ पिस्तौल का उपयोग अमरीकी सेना करती है. यही वह हथियार था, जिससे रॅाकी ने कथित तौर पर एक घर का चिराग बुझा दिया. अपने बंदूक प्रेम का रौब झाड़ने के लिए रॉकी ने एक47 के एक जखीरे की ये तस्वीर अपने फेसबुक पर लगाई.

धूमना का है शौक

यूं तो रॉकी यादव दिल्ली में रहता था, लेकिन उसके घूमने का शौक उसे कई टूरिस्ट स्पॉट्स तक खींच ले जाता था. वो अक्सर फेसबुक प्रोफाइल पर अपने घूमने-फिरने की तस्वीरें लगाता था.

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मां-बाप की तरह नेतागिरी में भी चमकना चाहता था रॉकी

30 साल के राॅकी के पिता बिंदी यादव 90 के दौर में गया शहर में दबंग माने जाते थे. बिंदी यादव पर माओवादियों से संबंध होने के कारण देशद्रोह का मुकदमा तक दर्ज हो चुका है. बाद में राजनीति में आकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से साल 2005 और 2010 में वो चुनाव भी लड़ें.

बिंदी यादव ने अपनी जायदाद का एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर माओवादी इलाकों मे साठगांठ कर ठेकेदारी से कमाया है. दूसरे ठेकेदारों को माओवादी काम नहीं करने देते.

इनकी कमाई का यह आलम है कि आज बिंदी के पास 15 पेट्रोल पंप हैं, सीमेंट फैक्ट्रियां, शॉपिंग मॅाल, रियल एस्टेट और कारखाने का बड़ा काम है. रॉकी यादव भी इस सिस्टम का हिस्सा हो चुके थे और इसे चलाते रहने के लिए राजनीति से भी जुड़े रहना चाहते थे. वो अपने राजनीतिक विचार बेबाकी से फेसबुक पर लिखते रहते थे.

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