कीमोथेरेपी, मलेरिया और मिर्गी जैसी बीमारियों की दवा अब कम कीमत पर मिलेंगी.
एनपीपीए (राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण) ने 18 दवाओं की कीमतें कम की है.
इन दवाओं के दाम 23 फीसदी तक कम किए गए हैं.
पिछले महीने, रसायन और उर्वरक अनंत कुमार मंत्री ने कहा था कि सरकार आम लोगों के लिए कैंसर और एड्स जैसी बीमारी की दवाओं सहित 50 से अधिक जरुरी दवाओं को सस्ती दरों पर, उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है.
18 दवाओं में से 10 वैसी दवाएं हैं जो नेशनल लिस्ट आॅफ इसेन्शियल मेडिसीन ( NLEM ) 2011-2015 में शामिल है.
बाकी आठ दवाओं जिनमें पेरासिटामोल और एंटीबायोटिक दवाएं जैसे कि सेफाड्रॅाक्सिल और सेफाजोलिन जैसी दवाओं को पहली बार मूल्य नियंत्रण के दायरे में शामिल किया गया है.
जुलाई में ही सरकार ने 123 दवाओं को दवा मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाकर कीमतों को कम किया था. NLEM 2015 की लिस्ट में करीब 900 दवाएं शामिल हैं.
मूल्य निर्धारण के खिलाफ दवा कंपनियां
यह नया संशोधन तब किया गया है जब दवा इंडस्ट्री मूल्य निर्धारण के खिलाफ विरोध कर रही है.
कीमतों में हो रहे बदलाव को लेकर करीब 70% मामलों को दवा कंपनियों ने फार्मास्यूटिकल्स विभाग ( डीओपी ) के स्तर पर चुनौती दी है.
मार्केट के हिसाब से औसत कीमत तय
मौजूदा कानून के तहत, एनपीपीए दवाओं की कीमत तय करता है. एनपीपीए लागत आधारित मूल्य को निर्दिष्ट करने की जगह मार्केट मैक्निज्म के हिसाब से औसत कीमत तय करने लगा है.केबी अग्रवाल, ज्वाइंट सेक्रटरी, स्वास्थ्य मंत्रालय
फिलहाल एनपीपीए ड्रग प्राइस कंट्रोल आॅर्डर (2013) के तहत काम करता है. वह बाजार में एक ही दवा की कई कीमतों के औसत के हिसाब से जरुरी दवाओं की कीमत निर्धारित करता है. एनपीपीए केमिस्टों से इसके लिए आंकड़ें इकट्ठा करता है.
एनपीपीए मौजूदा समय में 900 फॅार्मूलेशन की कीमत को नियंत्रित कर रहा है. अबतक 368 एक्स्ट्रा फॅार्मूलेशन का अधिकतम खुदरा मूल्य तय किया गया है.
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