बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को राजीव रोशन हत्या मामले में मिली जमानत के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को आखिरी फैसला सुनाया जाएगा. गुरुवार को शहाबुद्दीन के वकीलों ने जमानत रद्द होने से बचाने के लिए कोर्ट में तरह तरह की दलीलें दी.
अपराधी से नेता बने शहाबुद्दीन की ओर से वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी की जगह वकील शेखर नाफाडे ने पैरवी की. वहीं पीड़ित चंदा बाबू की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने पैरवी की.
क्या क्या दलीलें दी बचाव पक्ष ने
वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफाडे ने कभी अदालत द्वारा आरोप पत्र न देने की बात कहीं, तो कभी बिहार सरकार पर मामलें को लटकाने का इल्जाम लगाया.
वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर ने कहा...
- पीड़ित चंदा बाबू के तीसरे लड़के की हत्या का आरोप शहाबुद्दीन पर है, लेकिन उस समय तो मेरा मुवक्किल (शहाबुद्दीन) जेल में था.
- 25 फरवरी 2015 को दर्ज हुए मामले पर अभी तक आरोप पत्र नहीं मिला है, जो किसी भी आपराधिक मामले में अनिवार्य होता है. इसलिए जमानत रद्द न की जाए.
- मेरे मुवक्किल को बिना वजह सीवान जेल से भागलपुर जेल भेज दिया गया, ताकि मामले को लंबे समय तक लटकाया जा सके.
- बिहार सरकार की तरफ से जानबूझकर मामले को लटकाया जा रहा है क्योंकि जैसे ही कार्रवाई शुरू होगी, यह मामला टिक नहीं सकेगा. उनके पास मेरे मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
पेशी के आखिर में शहाबुद्दीन ने खुद भी अदालत से जमानत रद्द न होने की गुहार लगाई. शहाबुद्दीन ने कहा, "आप कहेंगे तो बिहार छोड़कर चला जाउंगा, जो कहेंगे वो करूंगा, लेकिन जमानत रद्द न करें."
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