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‘टीपू’ अब नहीं बन पाएगा यूपी का सुल्तान! ये पापा का कैसा आदेश?

अगर अखिलेश नहीं तो मुलायम किसे बनाएंगे अगला मुख्यमंत्री? क्या शिवपाल को थमाएंगे गद्दी या फिर खुद संभालेंगे कमान.

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भारत
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शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुलायम से सवाल किया गया - क्या अगले चुनाव में अखिलेश सीएम कैंडिडेट होंगे. इस सवाल पर मुलायम बौखला गए. उन्होंने कहा- क्या पता...चुनाव हो जाएगा तब विधायक दल की बैठक होगी और फिर निर्विवाद नेता चुन लेंगे. चलिए छोड़िए... ये बातें हमसे मत करिए... ये आपका(मीडिया) काम नहीं है. ये हमारी पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड का काम है.

मतलब बगैर सीएम उम्मीदवार के चुनाव लड़ेगी सपा

शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में मुलायम इस बात पर जोर देते रहे कि उनके परिवार में किसी भी तरह का विवाद नहीं है. उन्होंने यहां तक कहा कि तीन पीढ़ियों से न उनके परिवार में विवाद हुआ है और न कभी होगा.

अगर अखिलेश नहीं तो मुलायम किसे बनाएंगे अगला मुख्यमंत्री? क्या शिवपाल को थमाएंगे गद्दी या फिर खुद संभालेंगे कमान.
(फोटो: Twitter)

लेकिन इसके कुछ देर बाद ही एक सवाल पर मुलायम बौखला गए. मुलायम से पूछा गया कि अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से सीएम फेस कौन होगा? इस सवाल पर मुलायम ने अपनी बौखलाहट में साफ कर दिया कि पार्टी अगले चुनाव में अखिलेश को सीएम फेस नहीं बनाएगी.

मुलायम ने कहा- हमने बनाया था अखिलेश को सीएम

इस दौरान मुलायम के चेहरे पर गुस्सा साफ तौर पर देखा गया. उन्होंने कहा कि पिछला विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा गया था, और जनता ने उन्हीं की वजह से पार्टी को बहुमत से जिताया. मुलायम ने यह भी कहा कि चुनाव जीतने के बाद अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला उन्होंने खुद लिया था. ऐसे में सरकार या पार्टी में किसे कहां बैठाना है यह वह खुद तय करेंगे.

अगर अखिलेश नहीं तो मुलायम किसे बनाएंगे अगला मुख्यमंत्री? क्या शिवपाल को थमाएंगे गद्दी या फिर खुद संभालेंगे कमान.
(फोटो: Twitter)

क्या अकेले पड़ गए अखिलेश?

समाजवादी पार्टी परिवार में जारी घमासान में अब अखिलेश अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं. भले ही अखिलेश ये कह रहे हैं कि उनके चाचा शिवपाल से संबंध हमेशा बने रहेंगे. लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए साफ कहा जा सकता है कि शिवपाल की वजह से अखिलेश के कद को छांट दिया गया है. यूपी समाजवादी पार्टी प्रेसिडेंट पद से हटाए जाने से लेकर अब इलेक्शन कैंपेन में भी अखिलेश को पीछे करने की कोशिशों से साफ जाहिर होता है कि अखिलेश अब अलग-थलग पड़ चुके हैं.

अगर अखिलेश नहीं तो मुलायम किसे बनाएंगे अगला मुख्यमंत्री? क्या शिवपाल को थमाएंगे गद्दी या फिर खुद संभालेंगे कमान.

अलग-थलग पड़ सकता हूं लेकिन हार नहीं सकताः अखिलेश

मुलायम की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले एक अंग्रेजी अखबार के साथ हुई बातचीत में सीएम अखिलेश यादव ने भी साफ कर दिया है कि वह झुकने वाले नहीं हैं. अखिलेश ने कहा कि अगर उन्हें किसी का साथ नहीं मिला तो वह अकेले ही चुनाव प्रचार करेंगे और अपने विकास कार्यों के दम पर सत्ता में लौटेंगे.

पिता मुलायम और चाचा शिवपाल से मेरा रिश्ता कभी नहीं बदलेगा. अगर किसी ने साथ नहीं दिया तो अकेले चुनाव कैंपेन करूंगा. प्रचार के लिए किसी का इंतजार नहीं करूंगा. मैंने बचपन में अपना नाम भी खुद ही रखा था. मैं विकास कार्यों की बदौलत दोबारा सत्ता में लौटूंगा. मैं अलग-थलग पड़ सकता हूं लेकिन हार नहीं सकता. - अखिलेश यादव

क्या भाई को साइकिल थमा देंगे मुलायम?

कौमी एकता विलय के बाद खुलकर सामने आए पारिवारिक अंर्तकलह ने कई रिश्तों को दांव पर लगा दिया. साल 2012 इलेक्शन में पार्टी को बहुमत मिलने के बाद शिवपाल को उम्मीद थी कि परिवार की राजनीतिक विरासत में अगला नंबर उनका होगा. हालांकि उस दौरान मुलायम ने अखिलेश को सीएम बना दिया और शिवपाल मन मारकर रह गए. उस वक्त से चली आ रही टीस कौमी एकता दल के विलय के बाद खुलकर सामने आई.

अगर अखिलेश नहीं तो मुलायम किसे बनाएंगे अगला मुख्यमंत्री? क्या शिवपाल को थमाएंगे गद्दी या फिर खुद संभालेंगे कमान.

इस पूरे विवाद में मुलायम अब अपने भाई शिवपाल के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. जिस तरह से उन्होंने शिवपाल को अध्यक्ष बनाया और यूपी इलेक्शन की कमान सौंपी, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है.

शुक्रवार को मीडिया मुलायम से सवाल कर रहा था और जवाब उनके भाई शिवपाल दे रहे थे. माना जा रहा है कि शिवपाल ने मुलायम को अपने दम पर साल 2017 का इलेक्शन जिताने का यकीन दिलाया है.

परिवार की कलह में किसे होगा फायदा?

यूपी इलेक्शन में बीजेपी के पास सीएम कैंडिडेट के लिए कोई फेस नहीं है. और अब मुलायम के बयान से भी साफ हो चुका है कि सपा भी आगामी इलेक्शन नेता जी के चेहरे पर ही लड़ेगी. ऐसे में अभी तो ये लग रहा है कि पारिवारिक फूट का सीधा फायदा बहुजन समाज पार्टी को हो सकता है. लेकिन आखिरी फैसला जनता के हाथ में है.

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