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ATM की लाइनों में देशभक्ति पिरोने पर फूटा पूर्व सैनिकों का गुस्सा

पूर्व सैनिकों को पसंद आया पीएम मोदी के नोटबंदी वाला फैसला, देश के भले के लिए थोड़ी दिक्कतें सहने को तैयार

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बीती 8 नवंबर से देश की करेंसी में 1000 रुपये का नोट कम हो गया. बटुओं से कैश कम हो गया. लोगों का चैन कम हो गया. गर्भवती माएं, बूढ़ी औरतें और नौकरीपेशा लोग लगे हैं...एटीएम और बैंकों की लाइनों में. देश की नहीं कैश की खातिर...पर लाइनों में बेहोश होने पर भी शिकायत नहीं कर सकते क्योंकि शिकायत करना देशद्रोह है. लाइनों की तुलना सरहद से की जा सकती है.

क्विंट हिंदी ने कैशलैस होते इंडिया के इस माहौल में हरियाणा के रेवाड़ी जाकर देशसेवा कर चुके पूर्व सैनिकों से बात एटीएम लाइनों की सरहद से तुलना पर बात की.

पढ़िए पूर्व-सैनिकों की प्रतिक्रियाएं...

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आखिर हर चीज में सेना को क्यों घसीटा जाता है?

ये फैसला सही है. लेकिन फैसले को लागू करने में कई गलतियां सामने आई हैं. और, अब अगर लोग शिकायत कर रहे हैं तो उन्हें सियाचिन में तैनात जवान का हवाला देकर चुप कराया जा रहा है.
शंकर सिंह, पूर्व लेफ्टिनेंट कमांडर (नेवी) और स्पेशल मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट

सेना का नाम लेकर गलतियां छुपाई जाती हैं...

सेना के कंधे पर बंदूक रखकर राजनीति क्यों की जाती है...इसका सीधा-साधा मतलब यही है कि इस तरह की राजनीति करने वाले जानते हैं कि सेना का जवान अनुशासन के लिए जाना जाता है और एक बार सेना की बात कर दी फिर कोई कुछ नहीं कह पाएगा.
चंदकी राम यादव, पूर्व कैप्टन
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एसी कमरों में सेना पर राजनीति करने वाले सीमा पर 24 घंटे खड़े हों तब पता चलेगा...

सेना पर राजनीति करना पूरी तरह गलत है...इसका ठीक परिणाम नहीं होगा...आर्मी वाले दिनरात अपना काम करते हैं और ये लोग गलियों और एसी कमरों में बैठकर सेना के नाम पर राजनीति करते हैं. पीएम मोदी का ये फैसला सही है. लेकिन अब इस पर भी सैनिकों को बीच में लाकर राजनीति की जा रही है. गलतियों को ऐसे छुपाना कहां तक ठीक हैं.
महेंद्र सिंह, पूर्व सैनिक

पूर्व सैनिकों को नोटबंदी का फैसला पसंद लेकिन...

द क्विंट ने इस मुद्दे पर बैंक की लाइनों में लगे पूर्व सैनिकों, खेत में काम कर रहे पूर्व सैनिकों और सेवारत सैनिकों से बात की. इस बातचीत में पूर्व-सैनिकों ने खुले दिल से पीएम मोदी के इस फैसले की प्रशंसा की.

इंदिरा के बाद मोदी आया है जो देश के लिए काम कर रहा है...नोटबंदी का फैसला बहुत बढ़िया है. हालांकि, अगर 500 रुपये के नोट पहले और ज्यादा मात्रा में आ जाते तो इतना बड़ा संकट पैदा नहीं होता. इसके साथ ही एटीएम की कई मशीनें पहले से खराब हैं, उन्हें अब तक ठीक नहीं किया गया है. लेकिन, सबसे खराब बात ये है कि कुछ तत्व लाइनों में खड़े लोगों को सेना के नाम पर अपनी बात रखने से रोक रहे हैं जो पूरी तरह से गलत है. सेना की तुलना किसी से नहीं हो सकती.
शिवरत्न, पूर्व सैनिक

पूर्व सैनिकों ने पीएम मोदी के इस फैसले पर अपनी सहमति की मुहर लगाई है लेकिन सैनिकों में फैसले के अमलीकरण को लेकर रोष है.

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