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BSF जवान ने इंडिया को किया ‘सावधान’, सामने आईं ये 6 बड़ी बातें

इस जवान ने बाहर से चमकदार दिख रहे सिस्‍टम की कलई एक झटके में खोलकर रख दी है.

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भारत
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पिछले 3 दिनों से पूरा देश एक ऐसे शख्‍स का वीडियो बार-बार देख रहा है, जिसके तन पर कपड़े अक्‍सर ढेर सारे होते होंगे. उसका मकान होता है तंबू और खाने के लिए मिलती है गिनी हुई रोटी...वह भी अधपकी. कई बार रोटी गिननी भी नहीं पड़ती. कोई 'एक' को किस-किस तरीके से गिने!

एक अकेले बीएसएफ जवान ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. तेज बहादुर यादव और उस जैसे जवानों को मिलने वाली रोटी और दालनुमा पानी की तस्‍वीरों ने 'जय जवान' का नारा लगाने वालों की नींद उड़ा दी है.

अब तक के घटनाक्रम से मोटे तौर पर 6 बड़ी बातों सामने निकलकर आई हैं, जिन पर गौर किया जाना जरूरी है:

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1. 'एक' की ताकत

बीएसएफ के एक जवान ने जो काम अकेला कर दिखाया है, वह अपने आप में अनूठा है. सरहद पर दुश्‍मनों से कायदे से निपटना देश के जवानों की फितरत रही है. लेकिन अपने सोते हुए सिस्‍टम के खिलाफ आवाज उठाना इससे कहीं ज्‍यादा बहादुरी का काम है. यहां 'एकला चलो रे' का उद्घोष जीत गया. 'अकेला चना भांड़ नहीं फोड़ता' वाली कहावत हार गई.

2. फिर दिखा सोशल मीडिया का दम

पूरा घटनाक्रम यह बताता है कि लोग अब नामी-गिरामी लोगो वाले कैमरे के मोहताज नहीं रह गए हैं. स्‍मार्टफोन के दौर में सोशल मीडिया की ताकत बहुत बढ़ गई है. फेसबुक और वॉट्सऐप पर चीजें तुरंत वायरल होने लगती हैं.

तेज बहादुर यादव ने बीएसएफ में रहकर अपना भुगता हुआ सच दिखाया, जिसे लोग नंगी आंखों से देखते नहीं थक रहे हैं. आलम यह है कि तेज बहादुर यादव, बीएसएफ नाम से फेसबुक पर दर्जनभर से ज्‍यादा पेज बन चुके हैं.

3. एक झटके में खुली सिस्‍टम की कलई!

'जय जवान, जय किसान' जैसे नारे गढ़ने में देश शुरू से अव्‍वल रहा है. हर भाषण के अंत में तीन बार 'भारत माता की जय' बोलकर कोई भी देशभक्‍त केवल देश की मिट्टी को ही नमन नहीं करता, बल्‍कि सरहद पर तैनात जवानों के प्रति भी आदर दिखाता है. लेकिन हमारा सिस्‍टम इन जवानों के प्रति कितना संवेदनशील है, यह इस मामले से जाहिर हो रहा है.

तेज बहादुर इस बात को दुहराता है कि सरकार से उसकी कोई शिकायत नहीं है. उसकी शिकायत यह है कि सीनियर अधिकारी खाने-पीने की चीजों को पास के मार्केट में बेचकर पैसे बनाते हैं और जवान अपने हक से वंचित रह जाते हैं. ऐसे तमाम आरोप जांच का विषय हैं, पर पब्‍ल‍िक सब जानती है. पब्‍लि‍क के बीच का ही इंसान बॉर्डर पर जाकर जवान बनता है.

पूरी सच्‍चाई तो शायद आरोपों की ‘पुख्‍ता जांच’ के बाद भी सामने न आ सके. ऐसे आरोप बेहद घुलनशील होते हैं, जिसे सिस्‍टम अपनी सुविधा के हिसाब से घुला देता है.

इन बातों के बावजूद इस जवान ने बाहर से चमकदार दिख रहे सिस्‍टम की कलई जिस तरह एक झटके में खोलकर रख दी है, वह नायाब है और खास तवज्‍जो पाने का हकदार तो है ही.

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4. 'खाने के दांत' और 'दिखाने के दांत'

सिस्‍टम कैसे काम करता है, इसे समझने के लिए यह एक बढ़िया उदाहरण हो सकता है. मीडिया में मामला गरमाने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर जवान की शिकायत वाजिब है, तो पहले उसका समाधान जरूरी है. उन्‍होंने कहा कि अनुशासन के मामले को अलग तरीके से देखा जाना चाहिए.

दूसरी ओर इस केस में बीएसएफ के डीआइजी एमडीएस मान ने कहा:

आरोप लगाने वाले जवान के खिलाफ पहले से कई केस हैं. उसने वीआरएस की अर्जी दी थी, जो मंजूर कर ली गई है. वह शायद प्रमोशन न मिलने से निराश था.

तस्‍वीर एकदम साफ है. एक जनप्रतिनिधि हमेशा जनता का मन-मिजाज देखकर बोलता है. दूसरी ओर एक अफसर अपने अधीनस्‍थ जवान के आरोपों से आहत होकर तुरंत पलटवार कर बैठता है. उसके पास जांच पूरी होने तक इंतजार करने का सब्र भी नहीं होता! जो कसर रह गई थी, वह बीएसएफ के महानिरीक्षक ने पूरी कर दी.

5. चुप रहो, तो सारी गलती माफ!

बीएसएफ के महानिरीक्षक (जम्मू) डीके उपाध्याय ने इस जवान के खिलाफ ढेर सारे आरोप लगाए हैं. आरोपों की लिस्‍ट लंबी है:

1. कॉन्‍स्टेबल तेज बहादुर का व्यक्तिगत तौर पर बुरा अतीत रहा है. करियर के शुरुआती दिनों से उसे नियमित परामर्श की जरूरत पड़ी. उसमें सुधार लाने के लिए कई उपाय किए गए.

2. वह बिना इजाजत गैरहाजिर रहने, शराब की गहरी लत, अपने सीनियर अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार और बल प्रयोग करने का आदतन अपराधी रहा है.

3. वीडियो को पोस्ट करने वाले कॉन्‍स्टेबल तेज बहादुर यादव का साल 2010 में अनुशासनहीनता और अपने सीनियर अधिकारी पर बंदूक तान देने को लेकर कोर्ट मार्शल हुआ.

4. कोर्ट मार्शल के बाद वह 89 दिनों तक सश्रम कारावास भुगत चुका है.

सवाल उठता है कि जब उस जवान के खिलाफ इतने सारे आरोप थे, तो उसे फ्रंट लाइन पोस्‍ट‍िंग क्‍यों दी गई?

राय बहादुर हरियाणा के महेंद्रगढ़ का रहने वाला है. वह 1996 में बीएसएफ में शामिल हुआ था. उसकी पोस्‍ट‍िंग जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर है. हालांकि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के पेंडिंग मामले की वजह से पास की बटालियन में ट्रांसफर किया गया है.

6. सिस्‍टम से लड़ोगे, तो बाहर कर दिए जाओगे

कायदा तो यही कहता है कि बीएसएफ के आला अधिकारी तेज बहादुर के आरोपों पर गौर करते. जहां-जहां ऐसी गड़बड़ी हो रही हो, उसे आनन-फानन में दुरुस्‍त करने की कोशिश करते. छुपा हुआ मर्ज जब सामने आ ही गया है, तो शर्म छोड़कर उसका इलाज कराते. लेकिन हो रहा है इसके उलट.

बीएसएफ को महज इस बात का संतोष है कि सिस्‍टम को आइना दिखाने वाला यह दिलेर तो वीआरएस लेकर जाने ही वाला है. सारी कवायद केवल इस धुरी पर घूम रही है कि किसी तरह तेज बहादुर के पुराने दाग दिखा दिए जाएं.

...वही दाग, जिसके लिए शायद तेज बहादुर की 'तेजी' और अन्‍याय को चुपचाप न सहने की 'बहादुरी' ही जिम्‍मेदार हो.

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