ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुफ्त शिक्षा के बावजूद पेरेंट्स को सरकारी स्कूल पसंद नहीं

ये आंकड़ा पब्लिक स्कूलों की हकीकत बताने के लिए काफी है.

Published
भारत
1 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

गरीब और कमजोर तबके के छात्रों के लिए 14 साल की उम्र तक मुफ्त में शिक्षा दी जा रही है. लेकिन इसके बावजूद लोग अपने बच्चों को ज्यादा फीस देकर प्राइवेट स्कूलों में भेजना पसंद कर रहे हैं.

एक नई स्टडी से पता चला है कि भारत में सरकारी स्कूलों में जाने वाले बच्चों की संख्या में भारी गिरावट आई है. इसके उलट प्राइवेट स्कूलों की चांदी रही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
2010-11से 2015-16 के बीच 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में जाने वाले बच्चों की संख्या 1.3 करोड़ घट गई है. वहीं प्राइवेट स्कूलों में 1.75 करोड़ बच्चों की संख्या बढ़ी है.

ये आंकड़ा पब्लिक स्कूलों की हकीकत बताने के लिए काफी है.

हालांकि, डिस्ट्रिक्ट इंफाॅर्मेंशन सिस्टम फाॅर एजुकेशन (डीआईएसई) और शिक्षा मंत्रालय का आंकड़ा ये भी कहता है कि 20 राज्यों में सभी स्कूलों के रजिस्टर्ड बच्चों में से 65% यानी लगभग 11.3 करोड़ बच्चों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जारी रखी है.

भारत के 66% प्राइमरी स्कूल के छात्र सरकारी स्कूल या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में हैं, बाकी के लोग महंगे प्राइवेट स्कूल में जाते हैं.

मार्च में आई इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम पर 1,15,625 करोड़ रुपए (17.7 बिलियन डॉलर) खर्च हुए हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आई है.

इंडिया स्पेंड से इनपुट

WhatsApp के जरिये द क्‍व‍िंट से जुड़ि‍ए. टाइप करें “JOIN” और 9910181818 पर भेजें

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×