जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों से बचने के लिए सेना ने जीप के आगे बांधकर जिस शख्स को घुमाया था, वो फारूक डार पहली बार मीडिया के सामने आया है.
डार ने सवाल किया, ''क्या मैं कोई जानवर था, जिसे गाड़ी के आगे बांधकर घुमाया गया था. मैं क्या कोई भैंस या बैल था?''
अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' को दिए इंटरव्यू में डार ने ये बातें कही हैं. डार का ये बयान मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित किए जाने के बाद आया है, जिन्होंने उसे जीप से बांधा था.
श्रीनगर में 9 अप्रैल को वोटिंग के दौरान बीड़वाह समेत कई इलाकों में वोटिंग बूथ पर हिंसा हुई थी. इसी दौरान मेजर लीतुल गोगोई ने पत्थरबाजी कर रहे लोगों की भीड़ से डार को पकड़कर जीप के आगे बांधने का ऑर्डर दिया था.
डार ने मेजर लीतुल गोगोई को मिले सम्मान से नाराजगी जताते हुए कहा कि उसे बिना किसी कसूर के जीप में बांधा गया. उन्होंने पूछा, ''मेरे साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया, क्या उसी के लिए मेजर को सम्मानित किया गया है?''
हालांकि डार का दावा है कि वो वोट देकर घर लौट रहा था, वो पत्थरबाजों में शामिल नहीं था. फारुक ने बताया कि 9 अप्रैल को वह अपने भाई और एक पड़ोसी के साथ एक रिश्तेदार के पास जा रहा था. रास्ते में कुछ औरतें चुनाव का बहिष्कार कर रही थीं. जैसे ही वह वहां रुका तुरंत ही आर्मी ने उसे पकड़ लिया.
डार का वीडियो वायरल होने के बाद काफी हंगामा मचा था. इस घटना का वीडियो कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर जांच की मांग की थी. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और इसके खिलाफ भारतीय सेना की काफी आलोचना भी हुई थी.
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