सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में प्रवेश पर लगायी गयी अपनी रोक हटाते हुये इन संस्थानों को IIT-JEE (एडवान्स) 2017 के नतीजों के आधार पर छात्रों की काउन्सिलिंग करने और उन्हें प्रवेश देने की इजाजत दे दी है.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एमएम षाट्नागौडार की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने काउन्सिलिंग और प्रवेश पर बीते शुक्रवार को लगायी गयी रोक हटा दी लेकिन हाई कोर्ट से कहा कि इन संस्थानों में काउन्सिलिंग और प्रवेश को लेकर भ्रम की किसी भी स्थिति से बचने के लिये वे इससे संबंधित किसी भी याचिका पर विचार न करें.
काउन्सिलिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को अपनी रैंक के आधार पर सर्वोत्तम कॉलेज के चयन का अवसर दिया जाता है.
कोर्ट ने इन संस्थानों को यह आश्वासन देने का निर्देश दिया कि इस तरह की गलती दोबारा नहीं होगी और यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में इस तरह से बोनस अंक देने जैसी स्थिति फिर पैदा न हो. इससे पहले, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आश्वासन दिया कि भविष्य में इस तरह की स्थिति दोबारा पैदा नहीं होगी.
पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले में कोर्ट की साल 2005 में गुरु नानक विश्वविद्यालय प्रकरण में दी गयी व्यवस्था लागू नहीं होगी, क्योंकि यह बहुत बड़ी संख्या में छात्रों से संबंधित मामला है और इसकी परीक्षा में नकारात्मक मार्किंग प्रणाली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि गलत सवालों के लिये छात्रों को बोनस अंक देने के बारे में फैसला लेने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों की विशेषज्ञ समिति की दो बार बैठक हुयी थी. आईआईटी में प्रवेश की इच्छुक ऐश्वर्या अग्रवाल ने याचिका दायर कर कोर्ट से अनुरोध किया था कि JEE (एडवान्स) साल 2017 की परीक्षा में बैठने वाले छात्रों को बोनस अंक देने की कार्रवाई को गलत और उस जैसे तमाम छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन करार दिया जाये.
इसके बाद अनेक छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर कर रैंकिंग सूची निरस्त करने का अनुरोध किया था.
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