फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को यमुना के किनारे गोरा का पुरवा गांव में हुआ. इस गांव में लड़कियों को बोझ समझा जाता था. छोटी जाति की महिला होने के चलते फूलन और भी बड़े पैमाने पर शोषण का शिकार हुई.
सात साल की उम्र में उसकी शादी खुद से 25-30 साल बड़े आदमी से हुई. कुछ साल बाद फूलन अपने पति के चंगुल से आजाद होने में कामयाब रही. इसके बाद उसने बाबू गुर्जर का गैंग ज्वाइन कर लिया. जहां विक्रम मल्लाह से उसके प्रेम संबंध बने.
18 साल की उम्र में उसकी विपक्षी गैंग के सदस्यों ने उसका रेप किया.उसे बेहमई गांव में ऊंची जाति के चंगुल में कैद कर लिया गया. यहां उसका कई बार सामूहिक बलात्कार भी किया गया.
इसके बाद फूलन देवी ने खुद का गैंग बनाया. 1981 में फूलन बेहमई गांव वापस आई. यहां उसने 22 ठाकुर जाति के लोगों की ह्त्या कर दी. इस कांड के चलते फूलन पूरे देश में चर्चा का विषय हो गई.
आखिरकार 1983 में भारत सरकार से समझौते के बाद उसने सरेंडर कर दिया. भारत सरकार ने उसकी मांगे मान लीं. उसकी पैतृक जमीन की वापसी, रिश्तेदार को सरकारी नौकरी और गैंग के सदस्यों को मृत्यु दंड न देना की मांग इस समझौते का हिस्सा थीं.
1994 में उत्तरप्रदेश सरकार ने उसके खिलाफ लगे सारे केस वापस ले लिए. आखिरकार वो जेल से निकलने में कामयाब रही.
1996 में वो मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद बनी. 1998 में वो चुनाव हारी, लेकिन 1999 में दोबारा चुनाव जीती.
25 जुलाई 2001 को दिल्ली में घर के बाहर शेर सिंह राणा नाम के शख्स ने फूलन की गोली मार कर हत्या कर दी. राणा के मुताबिक उसने ठाकुरों के हत्याकांड के बदले फूलन को मारा था.
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