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शायरा बानो: वो औरत जिसने तीन तलाक को अंजाम मानने से इंकार कर दिया

शायरा बानो को उनके पति ने डाक से भेजा था तलाक

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साल 2017 के अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ट्रिपल तलाक को अंसवैधानिक करार दिया था. 5 जजों वाली संवैधानिक पीठ ने 3-2 के बहुमत से सैंकड़ों साल से चली आ रही इस कुरीति पर रोक लगाई. पीठ के मुताबिक ट्रिपल तलाक संविधान के आर्टिकल 14 में समानता के अधिकार का हनन करता है.

ये फैसला शायरा बानो की याचिका पर लिया गया. शायरा बानो को उनके शौहर ने डाक के जरिए तलाक भेजा था.

शायरा बानो उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली हैं. 2002 में उन्होंने इलाहाबाद के रिजवान अहमद से शादी की. उनके दो बच्चे भी हैं. शायरा के मुताबिक उनके ससुराल में उन्हें बहुत प्रताड़ित किया जाता था. उनसे दहेज की मांग की जाती, मारा-पीटा जाता.

इन सबके चलते वो बीमार भी रहने लगीं. इसके बाद रिजवान ने शायरा को जबरदस्ती काशीपुर वापस अपने पिता के घर भेज दिया. साल 2015 में उनके पति ने उन्हें डाक के जरिए तलाक भेज कर रिश्ता खत्म कर लिया. तलाक को चुनौती देते हुए वे सुप्रीम कोर्ट पहुंची.

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शायरा की याचिका के जरिए मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन एक्ट 1937 की धारा-2 को भी चुनौती दी गई है. इसी धारा के जरिए मुस्लिमों में बहुविवाह, तीन तलाक और निकाह हलाला जैसी कुरीतियों को कानूनी आधार मिलता है.

याचिका में सऊदी, पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध का भी जिक्र किया गया है. याचिका में कहा गया है कि भारत जैसे प्रगतिशील देश में इन चीजों की कोई जरूरत नहीं है.

पढ़ें ये भी: ट्रिपल तलाक आज से खत्म, सुप्रीम कोर्ट का बहुमत से फैसला

फैसले के बाद शायरा बानो की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए जल्द कानून बनाए जाने की मांग की.

मैं फैसले का स्वागत और समर्थन करती हूं. मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत ऐतिहासिक दिन है. मुस्लिम समाज में औरतों की स्थिति को समझा जाए और इस फैसले को माना जाए. जल्द से जल्द कानून भी बनाया जाए.
शायरा बानो

शायरा के अलावा मध्यप्रदेश की इशरत जहां भी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं. उनके पति ने उन्हें फोन पर ही तीन बार तलाक कह कर अपना रिश्ता खत्म कर लिया था. इसरत के मुताबिक उनके पति ने उन्हें और उनके चार बच्चों को भगवान भरोसे छोड़ दिया.

इसके अलावा ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ नाम की संस्था ने ‘मुस्लिम वीमेन्स क्वेस्ट फॉर इक्वेलिटी’ नाम से एक लेटर लिखा था. कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए याचिका के रूप में स्वीकार किया और सुनवाई शुरू कर दी. ये तीनों याचिकाएं ही ‘ट्रिपल तलाक केस’ के नाम से जानी जाती हैं.

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