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स्मॉग से घिरी दिल्ली, बीजिंग से सीखे कैसे कम करते हैं पॉल्यूशन

अगर प्रदूषण कम करना है तो इसको चुनावों के घोषणा पत्रों में प्राथमिकता देनी होगी. 

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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ा ही है. कभी बीजिंग को सबसे ज्यादा प्रदूषित माना जाता था लेकिन अब ये तमगा दिल्ली के पास है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के डेटा से पता चलता है कि साल 2014 से दिल्ली की हवा बीजिंग से 45 फीसदी ज्यादा खराब है.

दिल्ली में प्रदूषण खत्म करने पर बहस होती रहती है लेकिन चीन की राजधानी प्रदूषण को खत्म करने के लिए उपाय शुरू कर चुकी है. हालांकि चीन की आबोहवा अभी भी ठीक नहीं है लेकिन फिर भी वहां सबसे खतरनाक पीएम 2.5 में 15 फीसदी की सालाना गिरावट देखने को मिली है. साल 2015 में चीन के लोगों ने काफी लंबे समय बाद ठीक-ठाक हवा में सांस ली है.

चीन में रेड अलर्ट का मतलब रियल प्रोग्रेस

अगर प्रदूषण कम करना है तो इसको चुनावों के घोषणा पत्रों में प्राथमिकता देनी होगी. 
(ग्राफिक्स: Quint Hindi)
  • साल 2013 में हालात खराब हो जाने के बाद चीन नेशनल एयर पोल्यूशन एक्शन प्लान लेकर आया, जिसमें चार लेवल पर अलर्ट करने का सिस्टम है. इसको चलाने के लिए 7.5 ट्रिलियन रूपये का रिजर्व भी रखा गया है.
  • पिछले तीन साल में चीन दो बार सबसे ऊपर के रेड अलर्ट पर पहुंचा है, इसके बाद वहां पूरी तरह से शहर को शटडाउन कर दिया गया.
  • चीन में जुर्माना भी जबरदस्त लगता है. अगर कोई फैक्ट्री 10 दिन तक गैरकानूनी ढंग से गैस उत्सर्जन करती है तो उस पर 10 गुना ज्यादा जुर्माना लगता है.
  • स्मॉग में लोग घर से कम ही निकलते हैं और निकलना हुआ तो अच्छी क्वालिटी वाला मास्क पहनते हैं.
  • बीजिंग और शंघाई में ज्यादातर दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर लगाया जाता है ताकि उनका स्टाफ अच्छी हवा में सांस ले सके.
  • यही तरीका स्कूलों में अपनाया गया है. कुछ इंटरनेशनल स्कूलों ने तो इनडोर प्रदूषण मुक्त स्टेडियम भी बनवाए हुए हैं.

दिल्ली में प्रदूषण खत्म करना है तो कड़े कदम उठाने ही होंगे. न ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने और न ही केंद्र की मोदी सरकार ने प्रदूषण खत्म करने के लिए कोई उपाय किए. यहां पर चुनाव के घोषणापत्र में भी प्रदूषण को मुद्दा नहीं बनाया जाता. प्रदूषण खत्म करना है तो इसे प्राथमिकता देनी ही होगी.

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