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प्रदीप शर्माः जिन्होंने खोल दिया IPL में सट्टेबाजी का खेल

दाऊद के भाई को गिरफ्तार करने वाले मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की कहानी

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नामः प्रदीप शर्मा

उम्रः 55 साल

पोस्टः सीनियर इंस्पेक्टर, थाणे पुलिस

प्रदीप शर्मा, वो पुलिस अफसर, जिसने नब्बे के दशक में मुंबई में जड़ें जमा चुके अंडरवर्ल्ड को उखाड़ फेंका. और अब आईपीएल में सट्टेबाजी का खेल खोल दिया.

प्रदीप शर्मा इन दिनों थाणे में एंटी एक्सॉर्टशन सेल में सीनियर इंस्पेक्टर हैं. आईपीएल में सट्टेबाजी मामले की जांच के दौरान एंटी एक्सटॉर्शन सेल के हत्थे एक सटोरिया चढ़ गया, जिसका नाम है सोनू जालान. मामले की जांच कर रहे सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा ने जब इस सटोरिए ने पूछताछ की तो उसने सलमान खान के भाई अरबाज खान का नाम उगल दिया. सटोरिये सोनू ने ही एंटी एक्सटॉर्शन सेल को बताया कि अरबाज खान सट्टेबाजी में 2.80 करोड़ रुपये हार गए थे.

नाम सामने आया तो अरबाज को समन भेजा गया. शनिवार को अरबाज खान एंटी एक्सटॉर्शन सेल के सामने पेश हुए, जहां उन्होंने प्रदीप शर्मा के सामने ही आईपीएल में सट्टा लगाने की बात कबूली.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कुछ और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के नाम भी इस सट्टेबाजी से जुड़ते नजर आ रहे हैं. ये लोग दूसरे नामों से सट्टेबाजी करते थे.

जान लीजिए कौन हैं सट्टेबाजी का खेल खोलने वाले सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा, मुंबई पुलिस का वो अफसर, जिसने नब्बे के दशक में मुंबई में जड़ें जमा चुके अंडरवर्ल्ड को उखाड़ फेंका. खौफ ऐसा कि अंडरवर्ल्ड के गुर्गे या तो मुंबई छोड़ गए या दुनिया. दौड़ा-दौड़ाकर गोली मारने वाले इस अफसर के एनकाउंटर का आंकड़ा 113 पर पहुंच गया. अंडरवर्ल्ड में दहशत फैली, तो सुर्खियों से शोहरत मिली.

बाद में यही शोहरत शर्मा के लिए मुसीबत बन गई. शर्मा पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा. केस की सुनवाई होती रही और शर्मा से खाकी दूर हो गई. 9 साल बाद उन्हें न्याय मिला. कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया.

9 साल बाद प्रदीप शर्मा की मुंबई पुलिस में वापसी हुई. वापसी के एक महीने के भीतर ही प्रदीप ने देश के मोस्ट वांडेट अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर को जबरन वसूली के मामले में दबोच लिया.

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बहाली के बाद शर्मा ने इकबाल कासकर को किया गिरफ्तार

सूत्रों के मुताबिक, ठाणे के एक कारोबारी को इकबाल के नाम से वसूली के लिए फोन किए गए थे, जिसके बाद कारोबारी ने ठाणे पुलिस के एंटी एक्सटॉर्शन सेल में इस बाबत शिकायत दर्ज करवाई. शिकायत पर कार्रवाई करते हुए शर्मा के नेतृत्व में उनकी टीम ने हसीना पारकर के घर से इकबाल को दबोच लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2003 से पहले इकबाल दुबई में रहता था. जब वो भारत लौटा तो उसे एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया गया. वो हत्या के एक केस के अलावा उगाही के मामले में भी वॉन्टेड था. हालांकि, साल 2007 में उसे सबूतों की कमी की वजह से कोर्ट ने बरी कर दिया.

1983 बैच एनकाउंटर स्पेशलिस्ट जाना जाता है

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के रहने वाले और पेश से शिक्षक रामेश्वर शर्मा नौकरी के सिलसिले में महाराष्ट्र के धूलिया में बस गए थे. यहीं उनके बेटे प्रदीप शर्मा ने मुंबई पुलिस सर्विस कमिशन का एग्जाम क्लियर किया.

नासिक पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी में उन्होंने उस वक्त के दमदार अफसर अरविन्द ईनामदार की देख-रेख में ट्रेनिंग ली. 1983 बैच से ही मुंबई पुलिस को टॉप के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मिले, जिनमें खुद प्रदीप शर्मा, प्रफुल भोंसले, शिवाजी कोलेकर, विनायक सावड़े, विजय सालस्कर, रवींद्र आंग्रे, दिवंगत राजू पिल्लई, अशोक बोरकर, असलम मोमिन शामिल थे. इनमें से ज्यादातर ऑफिसर्स अपने एनकाउंटर्स की वजह से सुर्खियों में रहे.

शर्मा को सबसे पहले माहिम पुलिस स्टेशन में तैनाती मिली. इसके बाद उन्हें मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच में भेज दिया गया.

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अंडरवर्ल्ड की दुनिया में खौफ का दूसरा नाम है प्रदीप शर्मा

1990 के दशक में अंडरवर्ल्ड मुंबई में अपनी जड़ें जमा चुका था. मुंबई के भीतर कारोबारियों के लिए प्रॉपर्टी या महंगी कारें खरीदना भी मुश्किल हो गया. इधर कारोबारी कोई डील करता और उधर उसे माफियाओं की ओर से वसूली का फोन आ जाता. अंडरवर्ल्ड से जुड़े गुर्गे दिनदहाड़े शूटआउट कारोबारियों को निशाना बनाने लगी. उस दौर में तत्कालीन गृह मंत्री गोपीनाथ मुंडे ने गैंगस्टरों का सफाया करने के आदेश दिए.

पुलिस विभाग ने 1999 में क्राइम इंटेलिजेंस का गठन किया. मुंबई पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा भी गैंग्स्टर्स का सफाया करने के लिए बनाई गई स्पेशल सेल का भी हिस्सा रह चुके हैं.

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ऐसे मिला एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का टैग

मुंबई पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा अब तक 100 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं. शर्मा खतरनाक गैंगस्टर विनोद मातकर को मारकर पहली बार एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से सुर्खियों में आए थे.

मातकर के अलावा प्रदीप शर्मा ने परवेज सिद्दीकी, रफीक डब्बावाला, सादिक कालिया, रंगा-बिल्ला के नाम से कुख्यात जावेद-रहीम जैसे सौ से ज्यादा कुख्यात गैंगस्‍टरों का सफाया किया. इसके अलावा एक मुठभेड़ में उन्होंने मुंबई को दहलाने की साजिश रचने वाले लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को भी एनकाउंटर में ढेर कर दिया था.

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प्रदीप शर्मा से ही इंस्पायर्ड था अब तक 56 में नाना पाटेकर का किरदार

देखते ही देखते मुंबई पुलिस का ये अफसर अंडरवर्ल्ड के इशारों पर चलने वाली फिल्म इंडस्ट्री के लिए प्रेरणास्रोत बन गया. फिल्मों की कहानी में शर्मा से मिलते-जुलते किरदार शामिल किए जाने लगे.

कहा जाता है कि रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘अब तक 56’ में नाना पाटेकर का किरदार भी प्रदीप शर्मा से ही प्रेरित था.

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9 साल बाद हुई प्रदीप की बहाली

छोटा राजन गैंग के सदस्य लखन भैया एनकाउंटर केस में प्रदीप शर्मा को मुख्‍य आरोपी बनाया गया था. उन पर लखन का फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप था. इस मामले में साल 2007 में प्रदीप शर्मा को मुंबई पुलिस कंट्रोल रूम में ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद उन्हें धारावी पुलिस स्टेशन भेज दिया गया. 30 अगस्त 2008 को शर्मा को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.

लखन भैया एनकाउंटर केस में मुंबई सेशन कोर्ट ने साल 2013 में फैसला सुनाते हुए एनकाउंटर स्‍पेशलिस्‍ट प्रदीप शर्मा को बरी कर दिया था, जबकि 13 अन्य पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया.

फर्जी एनकाउंटर का आरोप

मुंबई के अंधेरी इलाके में 11 नवंबर 2006 को छोटा राजन के साथी लखन भैया का एनकाउंटर हुआ था. लखन के भाई ने दावा किया था कि उसका भाई मुठभेड़ में नहीं मरा है, बल्कि उसे नवी मुंबई से अगवाकर पहले मुंबई ले जाया गया, बाद में हत्या कर फर्जी एनकाउंटर की कहानी गढ़ी गई.

इससे पहले प्रदीप शर्मा पर अंडरवर्ल्ड से साठगांठ के भी आरोप लग चुके हैं. उन पर आरोप लगे थे कि वह दाऊद इब्राहिम के लिए काम करते हैं और उसके इशारे पर एनकाउंटर करते हैं.

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