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UP चुनाव: मोदी Vs अखिलेश, 2014 से सीखा पर 2017 में काम आएगा क्या?

अखिलेश मोदी नीति तो अपना रहे हैं लेकिन यूपी में ये फॉर्मूला कितना काम करेगा?

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2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी की रणनीति से अखिलेश यादव ने काफी कुछ सीखा है. इस बार 2017 के विधानसभा चुनावों में अखिलेश की रणनीति में भी मोदी नीति का अक्स दिखता है. इंफोग्राफिक्स के जरिए समझिए, कैसे विकास और काम बोलता है के स्लोगन के भरोसे अखिलेश ने चुनावी बिगुल फूंका है.

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अखिलेश मोदी नीति तो अपना रहे हैं लेकिन यूपी में ये फॉर्मूला कितना काम करेगा?
(ग्राफिक्स- तेजस अल्हाट)

समाजवादी पार्टी की किचकिच ने अखिलेश को फायदा ही पहुंचाया लेकिन कार्यकाल के शुरुआती दो साल उन्हें हाफ सीएम ही कहा गया. तो फिर अखिलेश ने क्या किया, ठीक वही सब जो मोदी ने गुजरात से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति के वक्त किया था. इमेज मेकओवर के सारे तकनीक सीएम अखिलेश भी आजमा रहे हैं. परिवार के कलह के बावजूद ग्रामीण वोटरों के बीच उनके लगभग एक लाख कार्यकर्ता डैमेज कंट्रोल में लगे हैं.

अखिलेश मोदी नीति तो अपना रहे हैं लेकिन यूपी में ये फॉर्मूला कितना काम करेगा?
(ग्राफिक्स- तेजस अल्हाट)

तमाम पत्रकारों और विश्लेषकों ने इस मुद्दे पर 2014 चुनाव के बाद काफी कुछ लिखा. अब नेताओं के भाषण किसी वरिष्ठ पार्टी सलाहकार या विशेषज्ञ के भरोसे नहीं होता. मोदी ने 2014 में इसकी शुरुआत की, उन्होंने एक टीम बनाई जो जमीनी हकीकत, लोकल मुद्दों को उनकी रैलियों के एजेंडे में शामिल करता था. अखिलेश की टीम भी यही सब कर रही है. विदेशी सलाहकारों की टीम उन्हें गाइड कर रही है. हालांकि अभी तक पार्टी और परिवार की किचकिच की वजह अखिलेश युद्धस्तर पर प्रचार शुरू नहीं कर पाए हैं.

अखिलेश मोदी नीति तो अपना रहे हैं लेकिन यूपी में ये फॉर्मूला कितना काम करेगा?

बिहार चुनाव में बीजेपी के प्रचार के दौरान मोदी ने नेगेटिव कैंपेनिंग की थी. लेकिन अखिलेश इन गलतियों से सीखकर दो कदम आगे का प्लान बना चुके हैं. उनकी कैंपेनिंग में प्रदेश की बात हो रही है. काम बोलता है जैसे नारे ले आए. पार्टी और अखिलेश के सोशल मीडिया पेज से किसी भी पार्टी विशेष पर हमला नहीं किया जाता.

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