हॉकी इंडिया (Hockey India ) के राष्ट्रमंडल खेलों (Commonwealth Games) से हटने के फैसले के बाद गरमाए विवाद पर अब केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) की प्रतिक्रिया आई है.
अनुराग ठाकुर ने कहा है कि राष्ट्रमंडल खेलों में सिर्फ किसी फेडरेशन की टीम नहीं जाती, बल्कि राष्ट्र की टीम जाती है, इसलिए हॉकी इंडिया फेडरेशन को टीम न भेजने का फैसला लेने के पहले सरकार से बात करनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा,
"भारत में केवल 18 खिलाड़ी नहीं हैं. अगर क्रिकेटर आईपीएल के साथ-साथ विश्व कप में भी खेल सकते हैं, तो हॉकी खिलाड़ी एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेलों में क्यों नहीं खेल सकते ?"
हॉकी इंडिया ने टीम भेजने से क्यों इनकार किया ?
हॉकी इंडिया ने इंग्लैंड के बर्मिंघम में 28 जुलाई से 8 अगस्त के बीच होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स से अपना नाम वापस ले लिया था. ये हॉकी इंडिया फेडरेशन के फैसला था, जिसमें भारत सरकार शामिल नहीं थी.
इसके पीछे हॉकी इंडिया ने तर्क दिया था कि राष्ट्रमंडल खेलों और हांग्झू एशियाई खेलों (10 से 25 सितंबर) के बीच सिर्फ 32 दिन का अंतर है. ऐसे में खिलाड़ियों को ब्रिटेन भेजकर हॉकी इंडिया कोई जोखिम उठाना चाहता, क्योंकि ब्रिटेन कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल रहा है.
अगर हॉकी खिलाड़ी इंग्लैंड में कोरोना संक्रमित होते हैं, तो इसका असर एशियाई खेलों पर पड़ सकता है और एशियाई खेलों से चूंकि ओलंपिक का टिकट मिलता है, इसीलिए हॉकी इंडिया रिस्क लेने के मूड में नहीं है.
इसके अलावा ब्रिटेन ने हाल में भारत के कोविड-19 वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को मान्यता देने से इनकार कर दिया था, साथ ही भारत से आने वाले यात्रियों के पूरे टीकाकरण के बावजूद उनके लिए 10 दिन का कड़ा क्वारंटीन लागू है. हॉकी इंडिया इस वजह से भी टीम को वहां नहीं भेजना चाहता.
इंग्लैंड ने भी टीम भारत भेजने से मना किया था
आपको बता दें कि हॉकी इंडिया के इंग्लैंड में अपनी टीम ना भेजने के फैसले को बदले के रूप में भी देखा जा रहा है. दरअसल इंग्लैंड ने भी भुवनेश्वर में होने वाले जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप से कोरोना का हवाला देते हुए अपना नाम वापस ले लिया था. अब हॉकी इंडिया ने भी ऐसा ही किया है.
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