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CSK Vs SRH: धोनी जिस सैम के हुए मुरीद, वो हैं एक खानदानी क्रिकेटर

अगर क्रिकेट इतिहास में कोई ऐसा है जिसके रग-रग में कई पीढ़ियों से क्रिकेटर का ही खून बह रहा हो, तो वो सैम करन हैं.

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“सैम करन हमारी टीम के लिए एक संपूर्ण क्रिकेटर हैं.”
एम एस धोनी, कप्तान, चेन्नई सुपरकिंग्स

धोनी (MS Dhoni) की छवि किसी भी खिलाड़ी की हद से ज्यादा तारीफ करने वाले कप्तान की नहीं रही है. ऐसे में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के खिलाफ एक अहम मुकाबले में जीत के बाद धोनी ने जब ये कहा कि वाकई में करन (Sam Curran) जैसा खिलाड़ी फिलहाल उनकी टीम के पास नहीं है, तो उन्होंने ऐसा अचानक नहीं, बल्कि 8 मैचों के इंतजार के बाद कहा. धोनी की ऐसी तारीफ हासिल करने के लिए हर मैच में इंग्लैंड के इस युवा ऑलराउंडर ने या तो बल्ले या फिर गेंद से, एक अलग किस्म की ऊर्जा का संचार किया.

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शायद यही वजह है कि धोनी ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों पारियों के दौरान नई गेंद की मुश्किल चुनौती का सामना करने के लिए अपने इस युवा खिलाड़ी को आगे किया और उसने दोनों मोर्चे पर कप्तान को निराश भी नहीं किया.

बल्लेबाजी

  • 21 गेंदों में ताबड़तोड़ 31 रन
  • 3 चौके 2 छक्के शामिल

गेंदबाजी

  • 3 ओवर में केवल 18 रन दिए
  • डेविड वॉर्नर का विकेट झटका

लेकिन, हर वक्त बल्ले या गेंद या अपनी फील्डिंग से मैच का रुख बदलने का नजरिया रखने वाला ये खिलाड़ी अपने आप में अनूठा खिलाड़ी है.

दरअसल, अगर क्रिकेट इतिहास में अगर कोई ‘खानदानी क्रिकेटर ‘ कहा जा सकता है, जिसके रग-रग में कई पीढ़ियों से क्रिकेटर का ही खून बह रहा हो, तो वो सैम करन और उनके भाई टॉम करन हैं, जो कि मौजूदा आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेल रहें है.

वैसे इनके एक और भाई बेन करन भी इंग्लैंड में फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल रहे हैं और शायद जल्द ही इंग्लैंड के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट या फिर अगले सीजन आपको आईपीएल में किसी तीसरी टीम के साथ नजर आ जाए. इतिहास रचने वाली बात होगी अगर तीन भाई तीन अलग अलग टीमों के साथ आईपीएल में खेलें. वैसे आप सोच रहें होंगे कि ये इतनी बड़ी बात तो है नहीं, क्योंकि क्रिकेट में भाइयों का फर्स्ट क्लास या इंटरनेशनल मैचों में खेलना कोई बड़ी बात नहीं है.

लेकिन, इन तीनों खिलाड़ियों के पिता (जो अब इस दुनिया में नहीं हैं) केविन मैल्कम करन ने भी जिम्बाब्वे के लिए दो वन-डे वर्ल्ड कप (1983 और 1987) में हिस्सा लिया. ये कोच भी बने. आप शायद ये भी सोचेंगे चलो इसमें भी कौन सी बड़ी बात हुई. इस खेल में तो कई पिता-पुत्र की जोड़ी के भी उदाहरण हैं. लेकिन अगर आपको ये पता चले कि सैम करन के दादा यानी कि केविन पैट्रिक करन ने भी 7 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे तो आप ये जरूर मानेंगे कि वाकई में ऐसी मिसाल तो क्रिकेट में शायद ही हो और इसलिए सैम करन के DNA सैंपल में क्रिकेट ही मिले तो कोई भी भौचक्का नहीं हो!

सैम के दादा अगर दायें हाथ के बल्लेबाज और दायें हाथ के ही मीडियम पेसर थे, तो उनके पिता दायें हाथ के बल्लेबाज और दाये हाथ के ही तेज़ गेंदबाज. इन दोनों का नाता जिम्बाब्वे से रहा. लेकिन, सैम के पिता जिम्बाबवे को 1992 में टेस्ट दर्जा मिलने से पहले ही इंग्लैंड आकर बस गए और उनके बेटे सैम बायें हाथ के बल्लेबाज और मीडियम पेसर के तौर पर इंग्लैंड के लिए खेलते हैं. भाई टाम (Rajasthan Royals) दायें हाथ का बल्लेबाज और दायें हाथ का ही तेज गेंदबाज हैं. एक और भाई बेन बायें हाथ से बल्लेबाजी तो करता है लेकिन गेंदबाजी दायें हाथ और वो भी ऑफ स्पिन!

बहरहाल, आईपीएल में खेलने और शानदार खेल दिखाने से जितनी शोहरत इतनी कम उम्र में सैम को मिली है शायद उनके पूरे खानदान के खिलाड़ियों को मिला कर कोई इसकी बराबरी नहीं कर सकता है.

लेकिन, ये अभी भी एक शानदार भविष्य की सिर्फ झलक हैं. हो सकता है कि ये खिलाड़ी आने वाले वक्त में ना सिर्फ आईपीएल बल्कि इंग्लैंड का बड़ा स्टार बन कर उभरे.

(20 साल से अधिक समय से क्रिकेट कवर करने वाले लेखक की सचिन तेंदुलकर पर पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है. ट्विटर पर @Vimalwa पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं.)

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