दुनिया के महानतम कप्तानों में से शुमार होने से पहले महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की छवि भारतीय क्रिकेट में झारखंड जैसे राज्य से आने वाले एक प्रतिभाशाली विकेटकीपर बल्लेबाज की थी जो किसी भी समय अपने बल्ले के दम पर किसी मैच का रुख बदल सकता था. धोनी अंत्तराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं और मुमकिन है कि इस आईपीएल (IPL 2020) के खत्म होने से पहले वो पूरी तरह से ही क्रिकेट को बाय-बाय करे दें. लेकिन, समय का पहिया भी एक दिलचस्प अंदाज में घूम रहा है. उसी झारखंड से आने वाले एक और विकेटकीपर बल्लेबाज इस आईपीएल में आखिरकार अपनी प्रतिभा को प्रदर्शन में बदलने की कोशिश कर रहा है जिसके चलते शुरुआती दौर में उसे अपने आदर्श धोनी से ही अनुचित तुलना के दौर से गुजरना पड़ा था.
शुक्रवार को शारजाह में खेले गए में मुकाबले में धोनी के बल्ले से तो रन नहीं निकले, लेकिन मुंबई की तरफ से खेलते हुए इशान किशन ने सिर्फ 37 गेंदों पर नाबाद 68 रन ठोंक डाले. इसमें 5 छक्के और 6 चौके शामिल रहे. अगर धोनी की टीम ने मैच में इतनी निराशाजनक बल्लेबाजी नहीं की होती तो शायद किशन की इस पारी को वो अहमियत मिलती जिसके वो सही हकदार हैं. वैसे, धोनी ही नहीं इस सीजन में तो किशन ने आईपीएल में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी ऋषभ पंत को भी बल्लेबाजी के मोर्चे पर उन्नीस ही साबित किया है जो टीम इंडिया के लिए विकेट-कीपर बल्लेबाज के तौर पर सबसे बड़ी उम्मीद के तौर पर देखे जा रहे हैं.
इसे भी एक अजीब इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि इशान किशन की प्रतिभा को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पहचानने वाले कोई और नहीं बल्कि पंत के ही बचपन के कोच तारिक सिन्हा रहे हैं. सिन्हा जब 2012-13 में झारखंड क्रिकेट के साथ क्रिकेट डायरेक्टर के तौर पर जुड़े.
सिन्हा ने दिल्ली के वेकेंटश्वर कॉलेज में सोनेट क्लब में मुझे कुछ साल पहले ये दिलचस्प किस्सा सुनाया था. सिन्हा के मुताबिक उन्होंने राज्य की नई प्रतिभाओं के लिए पहली बार एक ओपन ट्रायल करवाया था जिसमें हजारों की संख्या में युवा खिलाड़ी आए थे लेकिन उनकी नजरों में किशन ने पहली ही झलक में अपनी जगह बना ली थी.
सिन्हा पारखी नजर वाले कोच हैं क्योंकि उनसे ज्यादा अंत्तराष्ट्रीय खिलाड़ी किसी कोच ने भारत को नहीं दिए हैं. 2016 में जब राहुल द्रविड़ ने किशन को अंडर 19 टीम की कप्तानी दिलवाने में अहम भूमिका निभायी तो तभी ये आभास हो गया था कि भले ही किशन में धोनी वाली असाधारण काबिलियत नहीं हो लेकिन उनमें अपनी किस्मत लिखने का पूरा माद्दा है.
अब तक 6 साल की फर्स्ट क्लास क्रिकेट और 4 साल की आईपीएल में किशन ने कई मौकों पर ये संकेत दिया है कि भारतीय क्रिकेट में उन्हें भी धोनी के उत्तराधिकारी के तौर पर एकदम से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
धोनी के राज्य के लिए रणजी ट्रॉफी में एक पारी में सबसे ज्यादा रन(273) बनाने का रिकॉर्ड भी माही के नाम नहीं बल्कि किशन के नाम ही है.
जिस वक्त धोनी का सूरज भारतीय क्रिकेट से धीरे-धीरे अस्त होता दिख रहा है, उसी के साथ साथ झारखंड का एक और विकेटकीपर बल्लेबाज भारतीय चयनकर्ताओं के सामने आईपीएल में अपने खेल से राष्ट्रीय टीम में आने की दस्तक दे रहा है.
(20 साल से अधिक समय से क्रिकेट कवर करने वाले लेखक की सचिन तेंदुलकर पर पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है. ट्विटर पर @Vimalwa पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं.)
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