इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 13वें संस्करण में शनिवार को किंग्स इलेवन पंजाब का मुकाबला कोलकाता नाइट राइडर्स से होगा. इस मैच में पंजाब के कप्तान केएल राहुल पर भी नजरें रहेंगी, जिनके स्ट्राइक रेट को लेकर चर्चा तेज है.
नई पीढ़ी के लोगों को शायद ये याद ना हो कि भारतीय क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में से एक राहुल द्रविड़ को वनडे क्रिकेट में अपने धीमे स्ट्राइक रेट के चलते टीम से बाहर होना पड़ा था. मगर तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने द्रविड़ जैसे खिलाड़ी को हर कीमत पर प्लेइंग इलेवन में शामिल करने के लिए विकेटकीपिंग दस्ताने तक पहनाने को राजी करा लिया था.
आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान केएल राहुल भी कर्नाटक से आते हैं और उनके पिताजी द्रविड़ के इतने बड़े फैन थे कि उन्होंने सम्मान में राहुल नाम बेटे के साथ जोड़ दिया. मगर, द्रविड़ के विपरीत इस राहुल ने विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी स्वेच्छा से ली है ताकि वह अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए बेहतर विकल्प, आईपीएल टीम के लिए प्लेइंग इलवेन में ज्यादा विकल्प दे सकें.
टी-20 में स्ट्राइक रेट से फर्क नहीं पड़ता?? मतलब कुछ भी!
इस राहुल के साथ भी वही समस्या अब आ रही है जो उस राहुल के साथ कभी हुआ करती थी. फर्क सिर्फ इतना है कि द्रविड़ ने जहां करियर की शुरुआत सुरक्षात्मक अंदाज में बैंटिग करते हुए बाद में आक्रामक शॉट अपने तरकश में जोड़े, वहीं राहुल शुरु से ही आक्रामक स्ट्रोक प्लेयर रहे हैं लेकिन टीम हित में अब जरूरत से ज्यादा सुरक्षात्मक हो गए हैं.
पिछले मैच में सनराइजर्स हैदराबाद से मिली हार के बाद उनसे इस बारे में सवाल पूछा गया तो वह नाराज भी हो गए और उन्होंने दलील दी- 'स्ट्राइक रेट पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दिया जाता है. मेरे लिए सिर्फ यह मायने रखता है कि मैं अपनी टीम को कैसे जीत दिला सकता हूं. किसी दिन अगर मेरा स्ट्राइक रेट 120 का रहा और हम मैच जीत गए तो मेरे लिए यह अच्छा है. मैं ऐसे ही बल्लेबाजी करता हूं और जिम्मेदारी उठाना पसंद करता हूं.'
आंकडे़ झुठलाते हैं राहुल की दलील
मगर, आंकड़ों को देखें तो इस दलील में दम नजर नहीं आता. ये ठीक है कि उनके पास 2020 सीजन का ऑरेंज कैप है लेकिन पावर-प्ले ओवर्स में उनका 113. 3 का स्ट्राइक रेट सिर्फ शुभमन गिल (112) से ही बेहतर है, उन बल्लेबाजों में जिन्होंने कम से कम पावर-प्ले में 50 रन बनाए हों.
इसी सीजन में नहीं हुई है शैली धीमी
और ये गिरावट सिर्फ इसलिए नहीं आई है कि राहुल इस सीजन पंजाब की कप्तानी कर रहे हैं या उनकी टीम अच्छा नहीं कर रही है. 2018 में आईपीएल में पहली बार उन्होंने अपनी धाक जमाई तो रनों (659) के लिहाज से और स्ट्राइक रेट (करीब 159) के हिसाब से भी वह सबसे कामयाब बल्लेबाजों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर थे.
2019 में आईपीएल के ठीक बाद टीम इंडिया को इंग्लैंड में वर्ल्ड कप खेलने जाना था और शायद राहुल को एहसास था कि आईपीएल का खेल लगातार प्लेइंग इलेवन में बने रहने के लिए निर्णायक साबित हो सकता है.
इसी वजह से स्ट्राइक रेट की बजाए उन्होंने रन बनाने पर फोकस किया. तब से लेकर इस आईपीएल तक राहुल उसी ट्रैक पर चल रहे हैं. जहां 2019 आईपीएल से उनका औसत करीब 60 का रहा लेकिन स्ट्राइक रेट अब घटकर 137 पर आ गया है.
रोहित शर्मा भी तो ऐसे ही करते हैं बैटिंग फिर...
राहुल के चाहने वाले ये तर्क जरूर दे सकते हैं कि भई, रोहित शर्मा भी तो वनडे क्रिकेट में और टी-20 में इसी अंदाज में खेलते हैं. बात तो सही है लेकिन रोहित शुरुआती धीमे अंदाज को बाद में तूफानी अंदाज से संतुलित कर लेते हैं, जो कभी-कभी राहुल भी कर लेते हैं लेकिन एक बड़ा फर्क आईपीएल में रोहित और राहुल के बीच है.
रोहित अगर थर्ड गियर में बैटिंग करते हुए बीच में आउट हो जाते हैं तो उन पर कोई दबाव नहीं होता है क्योंकि मुंबई इंडियंस के पास मिडिल ऑर्डर में हार्दिक पांड्या और किरॉन पोलार्ड हैं जो छठे गियर से ही शुरुआत करते हैं
वहीं, राहुल के पास तो ग्लेन मैक्सवैल जैसा फूंका कारतूस है जिससे इस सीजन के 6 मैचों में 50 रन भी नहीं बन पाए हैं.
ऐसे में खुद के लिए भले ना सही लेकिन अपनी टीम के लिए राहुल का स्ट्राइक रेट तो असर डालता ही है चाहे वह इसे मानें या मानें.
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