गुरुवार को बेंगलुरू (RCB) और पंजाब (KXIP) के बीच मैच है. इसी मौके पर इन टीमों के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) और के एल राहुल (KL Rahul) के बारे में एक दिलचस्प बात.
आईपीएल (IPL) के दौरान हर साल ना सिर्फ आपको शानदार मैच देखने को मिलते हैं बल्कि कई मौके पर आपको भारतीय क्रिकेट और इसके खिलाड़ियों को एक अलग लेंस से भी देखने का मौका मिलता है. अगर एम एस धोनी के बाद विराट कोहली को टीम इंडिया की कप्तानी मिली तो इसकी वजह आईपीएल 2013 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की कप्तानी की जिम्मेदारी लेना भी रहा.
पुराने दौर में भविष्य के भारतीय कप्तानों को मुंबई, दिल्ली या फिर कर्नाटक जैसी मजबूत रणजी टीमों में अपना जौहर दिखाने के चलते कप्तानी मिलती थी और उसके बाद चैलेंजर्स ट्रॉफी का दौर आया जहां मौजूदा कप्तान, उप-कप्तान और भविष्य के एक कप्तान को युवा फौज वाली टीम की कमान दे दी जाती थी. उसी से खरा होकर जो बाहर आता, टीम इंडिया का भविष्य का कप्तान बन जाता. सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी उसी सिस्टम से आए.
लेकिन, टी20 फॉर्मेट के आने से काफी कुछ बदला है. आप तीनों फॉर्मेट के लायक हैं कि नहीं ये अक्सर आप आईपीएल में खुद को साबित करते हैं. क्या आप विकेटकीपिगं-बल्लेबाजी-कप्तानी की तिहरी जिम्मेदारी भी निभा सकते हैं जैसा कि पंजाब के कप्तान के एल राहुल कर रहे हैं, उसका भी नजारा यही देखने को मिल जाता है. ऐसे में क्या भारतीय चयनकर्ता और खुद कोहली की राय क्या किंग्स इलेवन के कप्तान राहुल के लिए बदल सकती है? सिर्फ इसलिए कि राहुल की टीम आईपीएल 2020 की अंक-तालिका में सबसे निचले पायदान पर है?
कोई और कप्तान भले ही राहुल के लिए अपनी राय बनाने के लिए मौजूदा हालात को भी ध्यान में रखता लेकिन कोहली शायद ऐसा नहीं करेंगे. क्योंकि कोहली जानते हैं कि आईपीएल में किसी भी कप्तान को कामयाब होने के लिए अपने बल्ले से भरपूर रन बनाने की बजाए एक धाकड़ गेंदबाजी आक्रमण की जरुरत होती है. आखिर कोहली 6 साल के संघर्ष के बाद आईपीएल में अपनी कप्तानी का लोहा मनवा रहे हैं. इसकी वजह है उनके गेंदबाजी आक्रमण में अब विविधता का होना है.रोहित शर्मा इस मामले में भाग्यशाली रहे हैं कि मुंबई इंडियंस के पास 2013 से ही शानदार आक्रमण रहा है.
इत्तेफाक से कोहली की ही तरह राहुल भी RCB के लिए उनके अंडर खेल चुके हैं. कोहली की ही तरह राहुल अपने घरेलू शहर की आईपीएल में कप्तानी नहीं करते हैं. कोहली ही तरह राहुल अपने बल्ले से भरपूर रन बना रहे हैं और अगर कोहली को अपने विदेशी दोस्त एबी डिविलियर्स का साथ मिलता था, तो राहुल को अपने राज्य के साथी खिलाड़ी मंयक अग्रवाल (जो उनके जिगरी दोस्त भी हैं) का साथ मिल रहा है. दोनों ने मिलकर पंजाब के लिए 724 रन बनाए हैं, लेकिन बाकी के बल्लेबाजों ने सिर्फ 477.
कोहली-डिविलियर्स के साझे आंकड़े साल दर साल अपनी टीम के बाकि बल्लेबाजों की तुलना में कमोबेश ऐसे ही हुआ करते थे. राहुल की टीम को जीत वैसे ही मिल रही है (तरसते हुए) जैसा कि कोहली के साथ अक्सर आईपीएल में (अगर 2016 को छोड़ दिया जाए तो) होता रहा है. ऐसे में अगर कोई एक खिलाड़ी राहुल के दर्द को फिलहाल समझ सकता है तो शायद वो कोहली ही हैं.
चलते-चलते आपको ये बता दूं कि मैच से पहले एक प्रमोनोशल इवेंट में राहुल ने कोहली से ही मजाकिया अदाज में बात-चीत करते हुए जब ये कहा कि कि आईपीएल में उनकी टीम की इकलौती जीत बैंगलोर के की खिलाफ ही आई है और उनका आत्म-विश्वास किसी तरह से टूटा नहीं है तो कोहली ने भी भले ही उसी अंदाज में राहुल को कहा हो उसके पास भी एक अच्छी टीम है, लेकिन,
दिल से शायद कोहली भी जानते हैं कि बल्लेबाजी प्रतिभा के प्रदर्शन में बदलने के बावजूद जब टीम आईपीएल मैचों में नहीं जीतती है तो दर्द कैसा होता है...
क्योंकि कभी कोहली भी राहुल की ही तरह आईपीएल में ऐसे दौर का सामना कर चुके हैं.
(20 साल से अधिक समय से क्रिकेट कवर करने वाले लेखक की सचिन तेंदुलकर पर पुस्तक ‘क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी’ बेस्ट सेलर रही है. ट्विटर पर @Vimalwa पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं.)
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