पंजाब (KXIP) के खिलाफ चेन्नई (CSK) की नौ विकेट की जीत में अहम भूमिका रही रितुराज गायकवाड़ की. वही गायकवाड़ जो शुरुआत में लगातार फेल हो रहे थे. अब उन्हें कामयाबी मिल रही है तो उनकी अपनी मेहनत के साथ ही धोनी की खास अंदाज भी है.
फेल होते गायकवाड़ को बिठा सकते थे धोनी
आईपीएल (IPL) में अपने करियर की शुरुआत करते हुए राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ पहले ही मैच की पहली ही गेंद पर रितुराज गायकवाड़ स्टंप्ड हो गए. दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ अगले मैचों में 10 गेंदों पर 5 रन ही गायकवाड़ ने बनाए थे फिर से वो दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गए. इसके बाद धोनी ने उन्हें मिड्ल ऑर्डर से सीधे ओपनर की भूमिका दे डाली. लेकिन, मुंबई इंडियंस के खिलाफ पहले ही ओवर में ट्रैंट बोल्ट ने उन्हें फिर से शून्य पर चलता किया.
गायकवाड़ को अपने बैड लक पर यकीन ही नहीं हो रहा था और उन्होंने इस फैसले के खिलाफ DRS का प्रयोग किया. लेकिन, कुछ भी नहीं बदला और पहले तीन मैचों के बाद 15 गेंदों पर 5 रन और 3 बार आउट. ये आंकड़े किसी भी युवा करियर को शुरुआत में ही बड़े झटके देने के लिए काफी होते और लगातार हार से जूझ रही चेन्नई की टीम के पास सबसे आसान रास्ता था कि इस बल्लेबाज़ को आराम करने के लिए कह दिया जाए.
...लेकिन धोनी तो धोनी हैं
लेकिन, गायकवाड़ किस्मत पर बहुत ज्यादा यकीन करने वालों में से नहीं है. अच्छी बात ये है कि उनके ड्रेसिंग रुम में धोनी जैसा सुलझा कप्तान है जिसे ये मानने में हिचक नहीं होती है कि शुरुआत में उनमें गायकवाड़ में वो चमक नहीं दिखाई दी लेकिन जैसे ही उन्हें एहसास हुआ कि वो शायद गलत थे तो उन्होंने तुरंत अपना नजरिया इस खिलाड़ी के प्रति बदला. धोनी ने गायकवाड़ को उस निराशा के दौर से उबरने के लिए सिर्फ एक ही बात कही- बचे हुए तीनों मैच तुम खेल रहे हो, जो करना है खुलकर करो और नाकामी की फिक्र मत करो. मैं और टीम तुम्हारे साथ हैं क्योंकि तुम CSK का भविष्य हो.
बस, फिर क्या था अगले तीन मैचों में रितुराज के लिए रनों का बसंत आ गया. 65*, 72 और 62* की तीन शानदार पारियां जिनमें 2 बार तो आउट भी नहीं हुए और एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीनों मैच में गायकवाड़ मैन ऑफ द मैच चुने गए. शायद वो कहना चाह रहे थे- हैलो, आईपीएल इस नाम को अब भूलना नहीं..
...और चमक उठे गायकवाड़
चेन्नई के लिए अतीत में मैथ्य हेडेन से लेकर माइकल हसी, सुरेश रैना से लेकर शेन वॉटसन जैसे दिग्गजों ने भी पिछले 13 सीजन क्रिकेट खेली है लेकिन लगातार 3 अर्धशतक बनाने वाले चेन्नई के पहले बल्लेबाज रितुराज ही हैं.
महाराष्ट्र के रितुराज गायकवाड़ के लिए खुशियों का ठिकाना नहीं रहा जब पिछले साल ऑक्शन में उन्हें 20 लाख के ब्रेस प्राइस पर CSK में जगह मिल गई. लेकिन, रितुराज को पता था कि प्लेइंग इलेवन में जगह मिलना बेहद मुश्किल था. लेकिन, आईपीएल की शुरुआत से पहले ही सुरेश रैना जैसे स्थापित बल्लेबाज टूर्नामेंट से निकल पड़े तो विकल्प के तौर पर सबसे बड़ा नाम गायकवाड का ही आया.
गायकवाड़ के रास्तों के पहाड़
गायकवाड़ कि किस्मत देखिये कि COVID 19 के चलते वो भी टूर्नामेंट के पहले हॉफ में खेल ही नहीं सकते थे. धोनी ने बाद में कहा कि इसी वजह से रितुराज की प्रतिभा को करीब से देखने का मौका नहीं मिला क्योंकि वो अभ्यास नहीं नही कर पा रहे थे.
शायद कोई दूसरा खिलाड़ी होता तो अपनी किस्मत को कोसते कोसते मायूस हो जाता . लेकिन, कम उम्र में ही गायकवाड़ ने निराशा को मैदान के बाहर पार करने का अदभुत गुण भी हासिल कर लिया है जो विरले खिलाड़ियों में ही मौजूद होता है.
करीब 4 साल पहले गायकवाड़ जब रणजी ट्रॉफी में दिल्ली में झारखंड के खिलाफ अपना पहला मैच खेल रहे थे तो उन्हें ऊंगली में वरुण एरॉन की गेंद से चोट लगी. दर्द सहते हुए वो खेलते रहे और 15 रन बनाए लेकिन इसके चलते वो अगले 6 हफ्ते तक क्रिकेट से दूर हो गए. जब तक वो फिट होकर वापस लौटते बाकि बल्लेबाजों ने मिड्ल ऑर्डर में अपनी जगह पक्की कर ली थी और उनके पास शांत होकर अपने वक्त के लौटने का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था.
जिस तरह से सचिन तेंदुलकर के लिए वन-डे क्रिकेट में और वीरेंद्र सहवाग के लिए टेस्ट क्रिकेट में मजबूरन ओपनर बनने के फैसले ने उनके करियर की दिशा ही बदल डाली ठीक उसी तरह से सीमित ओवर की घरेलू क्रिकेट में गायकवाड़ को भी ऐसा कदम उठाने पर उन्हें अब तक कामयाबी ही मिली है. पहले List A debut मैच में गायकवाड़ ने 132 रन 110 गेंदों पर बनाए जिसमें 12 चौके और 7 छक्के शामिल थे. इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्र के लिए 7 पारियों में सबसे ज्यादा 444 बन बनाए और देश में दस्तक दे डाली. मुश्किल हालात में टूटने की बजाए आपदा को अवसर में बदलने का वही पूराना फॉर्मूला गायकवाड़ ने आईपीएल में अपनाया और छा गए.
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