अर्जुन तेंदुलकर (Arjun Tendulkar) बनना इतना भी आसान नहीं है. हां, आपके पास सबसे बेहतर ट्रेनिंग सुविधाओं और पोषण तक पहुंच है, लेकिन फिर भी, एक बड़े सरनेम के बोझ के साथ लगातार चलना आसान नहीं है. इसी बोझ के चलते डॉन ब्रैडमैन के बेटे ने 1972 में अपना सरनेम बदलकर ब्रैडसेन रख लिया था.
सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ आखिरी ओवर में 20 रन डिफेंड करने थे, अर्जुन ने सिर्फ पांच रन दिए और अपना पहला आईपीएल विकेट हासिल किया. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे बड़े मंच पर अपने साथ लदे हुए भारी दबाव में नहीं झुकें.
अपनी पहचान बनाने के लिए बेताब अर्जुन तेंदुलकर
मैच के बाद इंटरव्यू में पूछे गए तीन सवालों में से दो उनके पिता के बारे में थे- रवि शास्त्री ने उन्हें आईपीएल में पहले विकेट की बधाई दी और इयान बिशप ने पूछा कि क्या वे अपने पिता के साथ क्रिकेट की रणनीति पर बात करते हैं?
अर्जुन तेंदुलकर होने के नाते 'सचिन' नाम से जो मान्यता और सार्वभौमिक सम्मान प्राप्त होता है, वह गर्व की बात है, लेकिन इससे परे, कौन अपनी पहचान बनाने के लिए बेताब नहीं होगा?
कल्पना करें कि हर समय निगाहें आप पर होंगी, लोग आपको परखेंगे और हमेशा इस विरासत को आगे बढ़ाने का दबाव होगा. इंटरनेट को आपके बारे में गलत बातें फैलाने के लिए बस एक छोटी सी गलती ही काफी है.
अर्जुन तेंदुलकर ने अभी तक दो मैचों के अपने छोटे से आईपीएल करियर में ज्यादातर चीजें सही की हैं. कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ अपने पहले मैच में, पावरप्ले में गेंदबाजी करते हुए दो ओवरों में 17 रन दिए.
अर्जुन में ये देखा गया कि बाएं हाथ का मध्यम-तेज गेंदबाज होने के बावजूद दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए वे गेंद अंदर की तरफ लाने की क्षमता रखते हैं. बाएं हाथ के गेंदबाजों का प्राकृतिक कोण होता है कि वे गेंद को दांए हाथ के बल्लेबाजों से दूर ले जाते हैं, लेकिन अगर उनके पास गेंद को अंदर की तरफ लाने की क्षमता है, तो संभावना है कि वे बल्लेबाज के लिए काफी कठिनाई पैदा कर सकते हैं.
जब आखिरी ओवर के लिए गेंद अर्जुन को सौंपी गई
अर्जुन खासकर उस तरह के गेंदबाज नहीं हैं जिन्हें 'गन पेसर्स' कहा जाता है. उनकी औसत गति लगभग 130 किमी प्रति घंटा है, लेकिन केवल 23 साल की उम्र में उनके पास अपने खेल के इस पहलू पर काम करने का समय है.
इस एक कमी के अलावा, वे और उनकी कलाई की स्थिति दूसरों से अलग है. वे केकेआर के खिलाफ अपने पहले ही ओवर में दो मौकों पर विकेट लेने के करीब पहुंचे, लेकिन पावरप्ले के बाद उनकी जरूरत नहीं पड़ी.
अपने दूसरे मैच में भी अर्जुन किफायती थे. उन्होंने पावरप्ले में अपने पहले दो ओवरों में 13 रन दिए. अपने पहले ओवर की चौथी गेंद पर हैरी ब्रूक से बड़ा शॉट खाने के बावजूद अर्जुन ने अपना संयम बनाए रखा और लाइन-लेंथ पर अपना नियंत्रण नहीं खोया. उन्होंने अपने दूसरे ओवर में लेग साइड में कुछ गेंदें डालीं, लेकिन कुल मिलाकर, उन्होंने अच्छी गेंदबाजी की.
जब आखिरी ओवर में अर्जुन को गेंद सौंपी गई, तो सनराइजर्स हैदराबाद पहले ही आठ विकेट गंवा चुकी थी और उसे 20 रन बनाने थे, फिर भी अब्दुल समद के क्रीज पर होने के चलते गेंदबाज के लिए कुछ झटके स्वाभाविक थे.
दबाव में भी नहीं बिगड़ा अर्जुन का संयम
आखिरकार ये न केवल अर्जुन का डेथ बॉलिंग में पहला ओवर था, बल्कि आईपीएल में पावरप्ले के बाहर भी उनका पहला ओवर था. हमने देखा है कि आखिर के ओवरों में संदीप शर्मा को छोड़कर गेंदबाज किस तरह दबाव के आगे घुटने टेक देते हैं. हालांकि अर्जुन ने अपना आपा नहीं खोया.
वाइड यॉर्कर मारकर, उन्होंने कमेंटेटर और दर्शकों दोनों को हैरान कर दिया. गेंदबाज के रूप में यह आसान काम नहीं है, क्योंकि गेंदबाज इसे ज्यादा वाइट फेंक देते हैं. हालांकि, रोहित शर्मा के लिए एक ज्यादा चिंता की बात नहीं थी क्योंकि अर्जुन ने बिना गलती के गेंदबाजी की.
अर्जुन पिछले तीन साल से इस टीम का हिस्सा हैं, मैंने उन्हें वर्षों से तैयार होते देखा है. वे समझते हैं कि क्या करना है और वे इस बात को लेकर काफी आश्वस्त हैं कि वह टीम के लिए क्या करना चाहते हैं. हमने आईपीएल की इस लीड-अप में देखा कि वे क्या कर रहे थे. वह तेज गेंदबाजी कर रहे थे, उनका यॉर्कर सटीक पड़ रहा था और अपनी योजनाओं को लेकर स्पष्ट थे. वे यही करने की कोशिश कर रहे थे कि कैसे चीजों को आसान रखा जाए. वे नई गेंद को स्विंग कराने और डेथ ओवर में यॉर्कर डालने की कोशिश कर रहे हैं.अर्जुन तेंदुलकर पर MI के कप्तान रोहित शर्मा
2018 में अंडर-19 टीम में मिली जगह
अर्जुन तेंदुलकर के क्रिकेट स्क्लि के बारे में पहली बार तब पता चला जब उन्हें सितंबर 2017 में मुंबई की अंडर-19 टीम में चुना गया. अगले साल 2018 में, उन्होंने श्रीलंका में 2 चार-दिवसीय मैचों के लिए भारतीय की अंडर -19 टीम में जगह बनाई.
महामारी के बीच अर्जुन को 2020 के अंत में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए मुंबई द्वारा चुना गया था, लेकिन डेब्यू पर 1/34 का सामान्य आंकड़ा रहा.
2021 में अर्जुन को 30 लाख रुपये में लेने के मुंबई इंडियंस के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भाई-भतीजावाद के आरोप लगने लगे, लेकिन सच्चाई ये है कि क्रिकेट जैसे खेल में भाई-भतीजावाद के आधार पर कोई बहुत ज्यादा तरक्की नहीं कर सकता है, क्योंकि यहां खिलाड़ी और उसके प्रदर्शन पर सबकी निगाहें होती हैं.
बिना कोई मैच मुंबई रणजी टीम से हुए बाहर
अर्जुन ने दिखाया कि उनका चयन आसान नहीं था, वे लगातार क्रिकेट की सीढ़ियां चढ़ते रहे. उन्होंने 2021 के अंत में मुंबई रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बनाई, लेकिन उन्हें तब झटका लगा जब बिना कोई मौका दिए मुंबई की टीम से बाहर कर दिया गया.
अर्जुन ने तब गोवा से खेलने का फैसला किया. दिलचस्प बात यह है कि सचिन तेंदुलकर ने युवराज सिंह के पिता, पूर्व भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर और प्रशंसित अभिनेता योगराज सिंह से अर्जुन को ट्रेनिंग देने का अनुरोध किया.
चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज ग्राउंड में उन्होंने 15 दिनों में ऑलराउंडर को चमकाने की कोशिश की. योगराज अर्जुन की कार्यशैली, ध्यान, धीरज और तप से प्रभावित थे, लेकिन इन सभी में सबसे बढ़कर थी उनकी बल्लेबाजी.
योगराज ने कहा, "अर्जुन ने मुझे युवी की याद दिला दी. अर्जुन गेंदबाज से ज्यादा बल्लेबाज हैं. वह खतरनाक बल्लेबाज हैं. युवी इसी तरह से बल्लेबाजी करता था".
गोवा रणजी ट्राॅफी में बनाए 120 रन
जल्द ही, दुनिया को उनकी बल्लेबाजी की क्षमता देखने को मिली. उन्होंने गोवा के लिए रणजी ट्रॉफी की शुरुआत में 207 गेंदों में 120 रन बनाए, सचिन के प्रथम श्रेणी में शतक की उपलब्धि को उन्होंने दोहराया.
201/5 का स्कोर होने के बाद अर्जुन ने आरसीबी के बल्लेबाज सुयश प्रभुदेसाई के साथ 221 रन की साझेदारी की थी.
सफेद गेंद के सीजन में उन्होंने गोवा के लिए भी अच्छा प्रदर्शन किया था. सैयद मुश्ताक अली टी-20 में, उन्होंने सात मैचों में 5.69 की शानदार इकॉनमी रेट से 10 विकेट लिए और लक्ष्य गर्ग के बाद गोवा के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. 50 ओवर की विजय हजारे ट्रॉफी में, उन्होंने आठ मैचों में 32.37 के औसत और 4.98 की प्रभावशाली इकॉनमी दर से सात विकेट लेकर गोवा के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी रहे.
सचिन की तरह अर्जुन का नाम याद रखेगी दुनिया
यह किसी उपलब्धि से कम नहीं है कि अर्जुन वर्तमान में अरशद खान और संदीप वारियर की पसंद से आगे मुंबई इंडियंस के लिए उनकी पहली पसंद और एकमात्र भारतीय तेज गेंदबाजी विकल्प के रूप में खेल रहे हैं. योगराज सिंह की तरह, स्टार-स्टडेड मुंबई इंडियंस के सपोर्ट स्टाफ ने उनके अंदर कुछ खास देखा होगा.
योगराज ने सचिन को कोचिंग देने के बाद कहा था, 'एक दिन दुनिया अर्जुन का नाम उसी तरह याद रखेगी जिस तरह वे सचिन का नाम याद करते हैं.'
अगर अर्जुन, योगराज के अनुमान से आधा भी अच्छे निकले, तो हम उन्हें बहुत लंबे समय तक देखेंगे, और शायद आने वाले समय में उन्हें सचिन के बेटे के रूप में नहीं, बल्कि अर्जुन के रूप में सराहा जाएगा.
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