ADVERTISEMENTREMOVE AD

Agnipath Scheme पर नेपाल की आपत्ति, भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती पर लगाई रोक

नेपाल के इस फैसले से 75 साल से भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती की परंपरा पर सवालिया निशान लग गया है.

Published
जॉब्स
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

देश में भारी बवाल के बाद अब नेपाल (Nepal) ने भी अग्रनिपथ योजना (Agnipath Scheme) का विरोध किया है. नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना (Indian Army) में गोरखाओं (Gorkhas) की भर्ती पर रोक लगा दी है. नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके (Narayan Khadka) ने बुधवार को काठमांडू में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव (Naveen Srivastava) को इसकी जानकारी दी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत गोरखाओं की भर्ती 9 नवंबर, 1947 को नेपाल, भारत और ब्रिटेन के साथ हुए त्रिपक्षीय समझौते के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है. हम इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद अंतिम फैसला करेंगे.

नेपाल ने 1947 समझौते का दिया हवाला

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (General Manoj Pande) 5 सिंतबर को नेपाली सेना के ‘मानद जनरल’ की उपाधि लेने काठमांडू जाने वाले हैं. इससे पहले नेपाल के इस फैसले से 75 साल से चल रही भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती की परंपरा पर सवालिया निशान लग गया है.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि खडके ने श्रीवास्तव को यह भी बताया कि 1947 का समझौता भारत की नई भर्ती नीति 'अग्निपथ योजना' को मान्यता नहीं देता है और इस तरह नेपाल को “नई व्यवस्था के प्रभाव का आकलन करने की आवश्यकता है." बता दें कि अब तक 1947 समझौते के आधर पर भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती होती आई है.

नेपाल में भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक-सूत्र

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों के मुताबिक अग्निपथ योजना के तहत नेपाल में गुरुवार से शुरू होने वाली भर्ती प्रकिया, जो 29 सितंबर तक चलने वाली था, अब अनिश्चितकाल के लिए ठप हो गई है. दिल्ली ने कोरोना महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद सेना में भर्ती के लिए सहयोग और अनुमोदन के लिए 6 सप्ताह पहले काठमांडू से संपर्क किया था.

सूत्रों ने बताया कि, इस बैठक के दौरान नेपाल पक्ष ने स्पष्ट किया कि अग्निपथ के तहत चार साल की अवधि के लिए मौजूदा भर्ती योजना 1947 के समझौते के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है. नेपाल में 4 साल के बाद रिटायर होने वाले गोरखा रंगरूटों के भविष्य के बारे में कुछ चिंताएं हैं.

वहीं नेपाल संसद की राज्य संबंध समिति की बैठक स्थगित हो गई है. इस बैठक में अग्निपथ योजना, गोरखाओं की भर्ती समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होनी थी.

विदेश मंत्रालय का बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि भारतीय सेना लंबे समय से नेपाल के गोरखा की सैनिकों के रूप में भर्ती करती रही है और वह अग्निपथ भर्ती योजना के तहत प्रक्रिया जारी रखने के लिए आशान्वित है. भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन हैं और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ ही नेपाल से भर्ती जवान भी शामिल हैं.

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने नेपाल के इस फैसले के बाद मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अग्निपथ जैसी योजना देश की सुरक्षा के साथ-साथ भारत और नेपाल के रिश्तों को भी प्रभावित कर रही है.

नेपाल सरकार और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में सगौली की संधि पर हस्ताक्षर के बाद तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना में नेपाल से गोरखाओं की भर्ती शुरू हुई. भारत के स्वतंत्र होने के बाद नवंबर 1947 में यह एक त्रिपक्षीय व्यवस्था बन गई और नेपाल में गोरखाओं को भारतीय सेना में सेवा देने या यूके जाने का विकल्प दिया गया.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें