इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज पिछले एक साल से चले आ रहे 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया मामले में अहम फैसला सुनाया. हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बड़ी राहत देते हुए कट ऑफ मार्क्स के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति को सही ठहराते हुए भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने को कहा है. जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार ने यह फैसला सुनाया.
फैसले के बाद सामान्य वर्ग के लिए 65 प्रतिशत और अरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 60 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा.
योगी सरकार के ये थे मानक
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद तीन मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित कर लिया था. हाईकोर्ट के फैसले के बाद सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को 150 में से 97 अंक हासिल करने होंगे, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंक जरूरी हैं.
फैसले को दी थी चुनौती
बता दें उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद दिसंबर 2018 में प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे. तब शासनादेश में कट ऑफ को लेकर किसी प्रकार का कोई जिक्र नहीं था.
भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 6 जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर करवाई गई. इसके ठीक एक दिन बाद 7 दिसंबर 2018 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई. इसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 97 और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 90 अंक लाने होंगे.
मतलब सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 65 फीसदी और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 60 फीसदी अंक पर पास किया जाएगा. इसी कटऑफ को लेकर परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी जिस पर आज फैसला आया है.
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