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IAS के इस्तीफे को कांग्रेस ने सरदार पटेल के सपनों की मौत बताया

कांग्रेस ने कहा, अधिकारियों का सेवा से इस्तीफा देना लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों की मौत है,

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IAS अफसर कन्नन गोपीनाथन के बाद अब कर्नाटक के आईएएस अफसर शशिकांत सेंथिल ने 6 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. दक्षिण कन्नड़ जिले में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात सेंथिल ने कहा कि अनैतिक तरीके से लोकतंत्र के सभी संस्थानों को दबाया जा रहा है, ऐसे में वो सिविल सर्विस में रहना नहीं चाहते हैं. कांग्रेस पार्टी ने सेंथिल के इस्तीफे को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों की मौत बताया है.

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कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए लिखा, "भारतीय प्रशासनिक सेवा विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है. आज बीजेपी सरकार की कार्यप्रणाली के चलते अधिकारियों का इस सेवा से इस्तीफा देना लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सपनों की मौत है, हमें सरदार पटेल के सपने को बचाना होगा."

वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व कर्नाटक मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा, लोकतंत्र के बुनियादी ढांचों के साथ छेड़छाड़ के विरोध में तीन आईएएस अफसरों ने इस्तीफा दे दिया- कन्नन गोपीनाथ , शाह फैसल और शशिकांत सेंथिल. ये भारत सरकार का कामकाज पर सीधा हमला है. क्या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सुनेंगे?

कर्नाटक सरकार की पूर्व मुख्य सचिव रतना प्रभा ने कहा, कल कन्नन, आज सेंथिल. हमारे लड़के और लड़कियां सरकारी नौकरी से निराश हो रहे हैं. ऐसा लगता है कि अच्छे काम की सराहना नहीं की जा रही है.

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IAS सेंथिल ने क्यों दिया इस्तीफा?

शशिकांत सेंथिल ने अपने भविष्य के प्लान पर बात करते हुए कहा, "मैं देश के लिए काम करता रहूंगा, लेकिन सिविल सर्विस में रहते हुए मैं कुछ नहीं कर पा रहा था." 40 साल के शशिकांत सेंथिल तमिलनाडु के रहने वाले हैं. उन्होंने 2009 से 2012 के बेल्लारी में सहायक आयुक्त के रूप में काम किया था. शशिकांत सेंथिल ने इस्तीफा देते हुए कहा-

ऐसे समय पर प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर कार्य करना अनैतिक होगा, जब लोकतंत्र के मौलिक निर्माण स्तंभों से समझौता किया जा रहा है. आने वाले दिन देश के मूल ताने-बाने के लिए बेहद कठिन चुनौतियां पेश करेंगे.

शशिकांत का इस्तीफा ऐसे वक्त पर आया है, जब कुछ दिन पहले ही IAS कन्नन गोपीनाथन ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया था. अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए गोपीनाथन ने कहा था, “जब से आर्टिकल 370 हटाया गया है, तबसे मैं परेशान था. मैं अलग-अलग लोगों से इस बारे में बात भी कर रहा था. फिर एक दिन फैसला कर लिया कि IAS की नौकरी में रहने से ज्यादा जरूरी है लोकतंत्र में बोलने की आजादी की अहमियत के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना . इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया.”

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