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ट्विटर पर फर्जी खबरें ज्यादा तेजी से फैलती हैं: रिसर्च रिपोर्ट

रिसर्च के मुताबिक ट्विटर पर सच्ची खबरों की तुलना में झूठी खबरों को 70% से ज्यादा रीट्वीट किये जाते हैं

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सोशल मीडिया के जितने फायदे हैं, उतने ही नुकसान भी हैं. यहां इतनी सफाई से आपको फर्जी खबरों की आड़ में गुमराह किया जाता है, कि आपको इसकी भनक तक नहीं लगती. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले कई लोग इन फर्जी खबरों पर भरोसा कर लेते है. हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि ट्विटर पर सही खबरों से ज्यादा फर्जी खबरों को री-ट्वीट किया जाता है, और वो तेजी से फैलती हैं.  री-ट्वीट करने का काम सिर्फ गुमराह हुए इंसान ही नहीं, बल्कि ऑटोमेटिक सॉफ्टवेयर कर रहे हैं, जिन्हें इसी काम के लिए प्रोग्राम किया गया है.

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ये रिसर्च कराने वाले अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के सोरौश वोसोगी कहते हैं, "ट्विटर खबरों का मुख्य जरिया बन गया है. लेकिन कई दुखद अनुभवों के बाद मुझे एहसास हुआ कि सोशल मीडिया पर मैं जो कुछ पढ़ रहा था, वो अफवाह थी, वो फर्जी खबर थी," साइंस पत्रिका में छपी रिसर्च के लिए, शोधकर्ताओं ने ट्विटर पर पोस्ट और शेयर हुए लगभग 126,000 खबरों का पता लगाया, जिन्हें साल 2006 से 2017 के बीच लगभग 30 लाख लोगों ने 45 लाख बार ट्वीट किए गए थे.

“रिसर्च से हमें हमें पता चला कि ट्विटर पर सभी तरह की जानकारियों में झूठी खबरें, सच्ची खबरों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से और बड़े स्तर पर फैलती हैं.”
-सिनन अर्ल, शोधकर्ता, एमआईटी
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रिसर्च के चौंकाने वाले नतीजे

रिसर्च के मुताबिक ट्विटर पर सच्ची खबरों की तुलना में झूठी खबरों को 70% से ज्यादा रीट्वीट किये जाने की संभावना रहती है. स्टडी में एक और बात सामने आयी कि एक फर्जी खबर को 1500 लोगों तक पहुंचने में जितना समय लगता है, उससे 6 गुना ज्यादा समय एक सच्ची खबर को इतने ही लोगों तक पहुंचने में लगता है. बड़े स्तर पर रीट्वीट किये जाने वाली झूठी खबरें, सच्ची खबरों की तुलना में 10 से 20 गुना ज्यादा तेजी से लोगों तक पहुंचती हैं.

सिनन अर्ल बताते हैं कि सोशल मीडिया पर यूजर्स में सबसे पहले कोई न कोई नई जानकारी देने की होड़ रहती है, ताकि उन्हें लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने का मौका मिल सके. इसके लिए वे फर्जी जानकारी पोस्ट करने से भी नहीं चूकते.

रिसर्च के लिए गए 126,000 खबरों में राजनीति की खबरें सबसे ज्यादा थीं, जिनमें लगभग 45,000 खबरें शामिल थे. इसके बाद शहरी , कारोबार, आतंकवाद, विज्ञान, मनोरंजन और प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित खबरें थीं.

रिसर्च से साफ जाहिर है कि दूसरी श्रेणी की खबरों की तुलना में फर्जी राजनीतिक खबरें ज्यादा फैलती हैं.

(इनपुट: PTI)

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