कई बार जो बात हम शब्दों में नहीं कह पाते हैं वह बात तस्वीर, स्माइली, और इमोजी कह जाती है. स्मार्टफोन के इस दौर में इमोजी और स्माइली ने मोबाइल पर लंबे मैसेज लिखने के झंझट से तो बचाया ही है साथ ही साथ मनोरंजन भी करा रही है. कभी मुस्कुराता हुआ इमोजी तो कभी गुस्से वाला इमोजी.
मैसेज भेजने के लिए व्हाट्सएप से लेकर फेसबुक पर स्माइली और दूसरे तरह के इमोजी का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है लेकिन अब इस इमोजी की लिस्ट में हिजाब पहने हुए महिला, स्तनपान कराती मां, और योग करते हुए व्यक्ति का इमोजी भी दिखेगा.
जर्मनी की 15 साल की रउफ अल्हुमेधी ने इमोजी में हिजाब पहनो महिला के कैरेक्टर को शामिल करने के लिए मुहिम शुरू किया था. और अपने सुझाव को यूनीकोड को भेजा था उसके बाद ही यूनिकोड ने हिजाब पहने हुए महिला वाला इमोजी शामिल करने का फैसला किया.
यूनिकोड कंसोर्टियम एक संगठन है जो इमोजी को विकसित करने और उसपर समीक्षा करती है. दरअसल, यूनीकोड अपने इमोजी कैरेक्टर अलग-अलग कंपनियों जैसे एप्पल, गूगल या माइक्रोसॉफ्ट को भेजती है. फिर ये कंपनियां अपने हिसाब से और यूनिकोड के सुझाव के अनुसार लागू करती हैं.
यूनिकोड कंपनी साल 2017 में स्मार्टफोन में 51 नई इमोजी लाने वाली है जिसके बाद इमोजी की संख्या 1,724 हो जाएंगी.
इमोजी को लेकर पहले भी बहस होती रही है. रंगभेद और रूढ़िवादी सोच से ग्रस्त होने का आरोप भी इमोजी बनाने वालों पर लगता आया है. इसी को देखते हुए इमोजी में अलग अलग बालों के रंग, त्वचा के रंग, धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों वाले इमोजी आए हैं.
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