केरल कैडर के IAS अफसर कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीर में 'मौलिक अधिकारों के हनन' के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गोपीनाथन ने कहा कि वो अपनी तरह से जीना चाहते हैं, भले ये एक दिन के लिए ही क्यों न हो. 2012 बैच के आईएएस अफसर के इस कदम की सोशल मीडिया यूजर्स ने तारीफ की है.
सोशल मीडिया यूजर्स ने उनका साथ देते हुए लिखा कि उन्हें गोपीनाथन पर गर्व है, और बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठा पाते हैं.
जर्नलिस्ट विनोद के जोस ने लिखा, ‘भारत अच्छे, कर्तव्यनिष्ठ पब्लिक सर्वेंट खो रहा है. कन्नन गोपीनाथन ने सरकार के कश्मीर के लाखों लोगों को ‘मौलिक अधिकारों’ से वंचित करने पर सरकारी नौकरी छोड़ दी है.’
एक यूजर ने लिखा कि जो गोपीनाथन ने किया वो बहादुरी और देश के प्रति सेवा है.
एक ने लिखा, ‘एजुकेशन केवल आजीविका कमाने के बारे में नहीं है, ये जागरूक रहने के बारे में भी है. नौकरी के लिए सब कुछ स्वीकार करना मौत के बराबर है.’
गोपीनाथन के फैसले की आलोचना
जहां कई सोशल मीडिया यूजर्स ने गोपीनाथन के फैसले का साथ देते हुए उनकी तारीफ की, वहीं कुछ उनकी आलोचना भी करते दिखे. एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि एक और IAS अफसर शाह फैसल और शेहला राशिद को ज्वाइन करने जा रहा है.
एक यूजर ने उनसे सवाल पूछते हुए कहा कि उनका गुस्सा तब कहां था जब कश्मीर में बुरहान वानी की मौत के बाद दो महीने तक कर्फ्यू लगा था.
‘मैंने अपनी आवाज भी खो दी’
कन्नन गोपीनाथन ने केरल राज्य में कई अहम पदों पर काम किया है. वो ऊर्जा और अपरंपरागत ऊर्जा स्त्रोत विभाग के सचिव रहे हैं. गोपीनाथन ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पद पर भी काम किया है.
मलयाली वेबसाइट ieMalayalam.com को दिए इंटरव्यू में गोपीनाथन ने विस्तार से अपने इस्तीफे के कारणों के बारे में बताया.
‘जब कोई पूछेगा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने एक पूरे राज्य पर बैन लगा दिया, लोगों के मौलिक अधिकार भी छीन लिए, तब आप क्या कर रहे थे? मैं कह सकूंगा कि मैंने विरोध में नौकरी से इस्तीफा दिया था.’कन्नन गोपीनाथन, IAS अफसर
गोपीनाथन ने कहा कि उन्होंने सिविल सर्विस इसलिए ज्वाइन की थी, ताकि वो खामोश किए जा चुके लोगों की आवाज बन सकें, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है कि उ्न्होंने खुद अपनी आवाज खो दी है.
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