भारत में लोकतंत्र का हाल खस्ताहाल है. द इकनॉमिस्ट मैगजीन की डेमोक्रेसी इंडेक्स (लोकतंत्र सूचकांक) की लिस्ट में भारत का स्थान तो यही बताता है. इस इंडेक्स में भारत 10 स्थान लुढ़ककर 51वें स्थान पर आ गया है. संस्था ने इस गिरावट की मुख्य वजह देश में 'नागरिक स्वतंत्रता में कमी' बताई है.
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लोकतंत्र के हालात को लेकर सरकार पर कटाक्ष किया है. कई यूजर्स ने लिखा, ‘लोकतंत्र के हाल बुरे हैं.... बाकी सब चंगा सी.’
जर्नलिस्ट मेघनाद ने कटाक्ष करते हुए लिखा, ‘ये बाहर वालों की डेमोक्रेसी इंडेक्स-विंडेक्स की जरूरत ही क्या है? हमारी सरकार खुद एक इंडेक्स बनाएगी और बाकी देशों को रैंक करेगी. हमारे इंडेक्स में भारत सबसे ऊपर होगा. बाकी अमेरिका वगैरह एकदम नीचे. फिर हम WhatsApp यूनिवर्सिटी में तहलका मचाएंगे.’
एक यूजर ने लिखा कि नरेंद्र मोदी के 2014 में सरकार में आने के बाद भारत गरीबी इंडेक्स से लेकर पासपोर्ट और विमेन सेफ्टी इंडेक्स में नीचे गिरा है.
एक यूजर ने केंद्र सरकार पर हमला बोला और पीएम को डिक्टेटर बताया. यूजर ने कहा कि अगर आप एक डिक्टेटर को चुनेंगे तो रैंकिंग पर आरोप नहीं लगा सकते.
यह इंडेक्स पांच श्रेणियों पर आधारित है- चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक स्वतंत्रता.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने रैंकिंग में भारत के 51वें स्थान को शर्मनाक बताया. उन्होंने लिखा कि अब मोदी और शाह सेकुलरिज्म की तरह डेमोक्रेसी को भी एलियन कॉन्सेप्ट न बताने लग जाएं.
लिस्ट के मुताबिक, भारत के कुल अंक 2018 में 7.23 थे जो अब घटकर 6.90 रह गए हैं. यह वैश्विक लिस्ट 165 स्वतंत्र देशों और दो क्षेत्रों में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति का एक खाका पेश करती है. इनके कुल अंकों के आधार पर देशों को चार तरह के शासन में वर्गीकृत किया जाता है- “पूर्ण लोकतंत्र” (8 से ज्यादा अंक हासिल करने वाले), त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र (6 से ज्यादा लेकिन 8 या 8 से कम अंक वाले), संकर शासन (4 से ज्यादा लेकिन 6 या 6 से कम अंक हासिल करने वाले) और सत्तावादी शासन (4 या उससे कम अंक वाले). इस तरह भारत को इस बार ‘‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’’ में शामिल किया गया है.
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