बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर को उनके विवादित बयान के कारण डिफेंस की संसदीय सलाहकार समिति से तो बाहर कर दिया है, लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स ने पूछा है कि वो अभी भी पार्टी में क्यों बनी हुई हैं? प्रज्ञा ठाकुर ने हाल ही में लोकसभा में एक बहस के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था. उनके इस बयान के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया.
विपक्ष के साथ-साथ सोशल मीडिया यूजर्स ने भी पीएम और पार्टी से सवाल किया है कि ठाकुर पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कवि कुमार विश्वास ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘मैं इन्हें फिर से माफ नहीं कर पाऊंगा.’
कुमार विश्वास का ये तंज पीएम मोदी पर था. लोकसभा चुनावों में प्रचार के दौरान भी प्रज्ञा ठाकुर ने गोडसे को देशभक्त बताया था. पीएम मोदी ने उनके इस बयान की निंदा करते हुए कहा था कि वो कभी प्रज्ञा ठाकुर को माफ नहीं कर पाएंगे.
फिल्म डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने लिखा, ‘ क्षमा गांधी जी. हम कुछ नहीं कर सके.’
एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘बापू की मौत तीन बार हुई, एक बार जब गोडसे ने उन्हें गोली मारी, और दो बार तब जब प्रज्ञा ठाकुर ने गोडसे को देशभक्त कहा.’
जर्नलिस्ट मेघनाद ने लिखा कि प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान के बाद बीजेपी डैमेज कंट्रोल में लग गई है. उन्होंने लिखा, ‘गोडसे पर प्रज्ञा ठाकुर के बयान को लोकसभा स्पीकर ने हटा दिया है. राजनाथ सिंह ने इसकी निंदा की है. ठाकुर को डिफेंस कमेटी से भी हटा दिया है. बीजेपी डैमेज कंट्रोल मोड में आ गई है.’
जर्नलिस्ट तवलीन सिंह ने पूछा कि बीजेपी क्यों प्रज्ञा ठाकुर को पार्टी और लोकसभा से नहीं निकाल रही है?
लोकसभा में 27 नवंबर को एसपीजी (संशोधन) बिल पर बहस के दौरान, डीएमके नेता ए. राजा अपनी बात रख रहे थे, जब उन्होंने गोडसे के उस बयान का जिक्र किया कि उसने महात्मा गांधी को क्यों मारा. तभी प्रज्ञा ठाकुर ने बीच में टोकते हुए कहा, ‘आप एक देशभक्त का उदाहरण नहीं दे सकते.’
इस बयान के बाद विपक्ष ने पीएम मोदी से सवाल किया है कि वो इसपर अब तक चुप क्यों हैं. प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयान पर माफी तो नहीं मांगी, लेकिन ट्विटर पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने ऊधम सिंह का अपमान नहीं सहा.
प्रज्ञा ठाकुर अपने कई बयानों को लेकर विवादों में घिर चुकी हैं. उन्होंने 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए हेमंत करकरे को लेकर भी विवादित टिप्पणी की थी.
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